इस मामले में 12 अन्य दोषियों को सात-सात साल कैद जबकि एक को 10 साल कारावास की सजा सुनाई गई है। इस मामले में 2 जून को विशेष अदालत ने 24 आरोपियों को दोषी करार दिया था जबकि 36 को बरी कर दिया था। पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है जबकि एक लापता है। दंगों के दौरान हजारों लोगों की भीड़ ने गुलबर्ग सोसायटी पर हमला किया था और कई लोगों को मारकर सोसायटी में आग लगा दी थी। मरने वालों में पूर्व कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी भी थे। उस समय जाफरी ने मदद के लिए कई जगह फोन किया था मगर कहीं से उन्हें मदद नहीं मिल सकी थी। घटना में मृतकों की कुल संख्या 69 थी। अहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफरी इस मामले में लगातार कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। फैसला आने के बाद जकिया जाफरी ने कहा है कि वह मामले में आगे भी कानूनी लड़ाई लड़ती रहेंगी।
घटना में अभियोजन पक्ष ने दोषी करार दिए गए 11 लोगों के लिए फांसी की सजा की मांग की थी मगर अदालत ने यह मांग नहीं मानी और मृत्यु पर्यंत कारावास की सजा सुनाई। मामले में बहस सोमवार को पूरी हो गई थी और न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गौरतलब है कि इस मामले में अदालत ने जिन 36 लोगों को बरी किया था उनमें भाजपा के नेता विपिन पटेल भी हैं जो चार बार पार्षद रह चुके हैं। वैसे अदालत के फैसले को घटना के पीड़ितों ने अधूरा इंसाफ करार दिया है। नरसंहार में मारे गए लोगों के परिजन इस घटना को सुनियोजित साजिश बता रहे हैं जबकि अदालत ने अपने फैसले में इसे पूर्व नियोजित साजिश नहीं माना है।