उच्च न्यायालय में राज्य सरकार के हलफनामे के बाद न्यायमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति के.जे. ठाकेर की खंडपीठ ने हार्दिक के वकील को निर्देश दिया कि 19 अक्टूबर तक हलफनामा दायर कर पुलिस की तरह के लोगों द्वारा उनके कथित अपहरण वाली याचिका में किए गए दावों को सत्यापित करें।
जब 22 सितंबर को अरावली जिले के बायड तालुका के तेनपुर गांव में एक आम सभा के बाद हार्दिक पटेल कथित तौर पर लापता हो गए थे तब उनके दो सहयोगियों ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी और हाईकोर्ट उसी पर सुनवाई कर रही थी । अरावली जिले के अम्बालियारा थाने के उपनिरीक्षक वाई. जे. राठौर की तरफ से दायर हलफनामे में कहा गया, हार्दिक पटेल का कभी अपहरण हुआ था, यह केवल याचिकाकर्ता की कल्पना है। वास्तव में किसी ने उनका कभी अपहरण नहीं किया था न ही सादे कपड़ों में पुलिस की तरह के लोगों ने।
हलफनामे में कहा गया, वास्तव में याचिकाकर्ता और उनके नजदीकी कुछ अन्य लोग 22 सितंबर, 2015 की दोपहर से ही 23 सितंबर 2015 के 11 बजे तक हार्दिक पटेल के लगातार संपर्क में थे। यह वही समय था जब हार्दिक को सुरेन्द्रनगर के नजदीक राजमार्ग पर कहीं छोड़ दिए जाने का दावा किया गया था। राज्य सरकार के हलफनामे के अवलोकन के बाद उच्च न्यायालय ने हार्दिक के वकील को हलफनामा दायर कर इन आरोपों को सत्यापित करने का निर्देश दिया कि 22 वर्षीय नेता का अपहरण हुआ था।