चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की विधानसभा से सदस्यता समाप्त करने के मामले पर अपना मंतव्य झारखंड के राज्यपाल को भेज दिया है। सूत्रों के अनुसार इसमें उनकी सदस्यता समाप्त करने का मंतव्य है। मीडिया में यह खबर तेजी से वायरल है। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से इस पर अपनी कड़ी आपत्ति जाहिर की है। कहा है कि चुनाव आयोग या राजभवन से मुख्यमंत्री सचिवालय को इस तरह का कोई पत्र नहीं आया है मगर सदस्यता समाप्त करने की खबर मीडिया में चल रही है। लगता है भाजपा के नेता और सांसद और उनके पाकेट के पत्रकारों ने चुनाव आयोग का ड्राफ्ट खुद तैयार किया है। भाजपा लोकतंत्र का मजाक उड़ा रही है, सत्ता का दुरुपयोग कर रही है।
बहरहाल राज्यपाल दिल्ली से आज ही वापस लौट रहे हैं। उनके आने और पत्र जारी होने के बाद इस पर हेमन्त सोरेन को निर्णय करना है। रांची के अनगड़ा में अपने नाम से हेमन्त सोरेन ने माइनिंग लीज ली थी इस मामले में भाजपा ने राज्यपाल को ज्ञापन देकर हेमन्त सोरेन की सदस्यता समाप्त करने का आग्रह किया था। राज्यपाल ने इसे मंतव्य के लिए चुनाव आयोग को भेज दिया था। चुनाव आयोग ने 22 अगस्त को ही सुनवाई पूरी कर ली थी। इधर 21 अगस्त को राज्यपाल निजी कार्यक्रम के हवाले दिल्ली चले गये थे। जानकार मानते हैं कि राज्यपाल चुनाव आयोग के संभावित फैसले को लेकर रायशुमारी करने दिल्ली में थे। वे बुधवार को ही रांची लौटने वाले थे मगर अब गुरुवार को वापसी का कार्यक्रम तय हुआ। अब राज्यपाल के आदेश के आलोक में ही मुख्यमंत्री का अगला कदम होगा।
रांची के अनगड़ा में अपने नाम से माइनिंग लीज लेने को लेकर भाजपा ने राज्यपाल से शिकायत करते हुए हेमन्त सोरेन की सदस्यता समाप्त करने की सिफारिश की थी। जिसे राज्यपाल ने मंतव्य के लिए चुनाव आयोग को भेज दिया था। ईडी के रेड को लेकर विवादों और चर्चा में रहने वाले गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने हेमन्त मामले में सुबह में ट्वीट किया तब मीडिया को खबर लगी। दुबे ने लिखा '' ...घोषणा थी कि अगस्त पार नहीं होगा। वही हुआ चुनाव आयोग का पत्र राज्यपाल जी को पहुंचा''। रघुवर दास को पराजित कर विधायक बने सरयू राय ने एक कदम आगे बढ़कर लगातार दो ट्वीट किया जिसमें लिखा '' अति विश्वस्त सूत्रों के अनुार निर्वचन आयोग ने हेमन्त सारेन को विधायक पद से अयोग्य करार दिया है। राजभवन से इसकी अधिसूचना निकलते ही उन्हें त्यागपत्र देना होगा या माननीय न्यायालय से इस अधिसूचना पर स्थगन आदेश प्राप्त करना होगा। भ्रष्ट आचरण के दोषी पाये गये हैं फलत: ये विधायक नहीं रह सकते। इन्हें अगले तीन वर्षों तक विधायक का चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया जा सकता है''।
संभावित संकट को लेकर हेमन्त सोरेन पहले से सतर्क हैं। हाल ही यूपीए विधायकों की सीएम हाउस में बैठक भी हुई थी। अभी सरकार बहुमत में है, सरकार पर कोई संकट नहीं है। मगर हेमन्त सोरेन का अगल कदम क्या होगा इस पर लोगों की नजर टिकी है। राज्यपाल के पत्र की प्रतीक्षा की जा रही है। इधर राजभवन और मुख्यमंत्री सचिवालय में गतिविधियां तेज हो गई है। पार्टी सूत्रों के अनुसार हेमन्त सोरेन ने कई योजना बना रखी है। जो राजभवन के पत्र पर निर्भर करेगा। सदस्यता समाप्त करने का फरमान आता है तो पार्टी तत्काल सुप्रीम कोर्ट मूव करेगी। तत्काल स्थगनादेश का प्रयास किया जायेगा। दूसरा विकल्प इस्तीफा देकर पुन: यूपीए सदस्यों द्वारा अपना नेता चुन लिया जाना। ऐसे में बिना विधायक रहे छह माह तक मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल सकेंगे। संकट गहराया तो पत्नी कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री के रूप में पेश किया जा सकता है।
पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वैसे हम चुनाव में भी जाने को तैयार हैं। जनता के लिए जो कम करना था हमारी सरकार एक हद तक कर चुकी है। लगता है हेमन्त सोरेन को भी चुनाव आयोग के संभावित फैसले का एहसास हो गया था। बुधवार को कैबिनेट की बैठक के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कुछ उसी अंदाज में अपनी उपलब्धियां गिनाने लगे। कहा आंगनबाड़ी सेविकाओं, पुलिसकर्मियों, पारा शिक्षकों, पुरानी पेंशन योजना के लाभुकों से पूछ लीजिए। सरकार की सोच रही है कि हर चेहरे पर मुस्कान हो। आदिवासी वर्ग के युवा विदेश में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। लेकिन कुछ लोगों को यह रास नहीं आ रहा, पेट में दर्द हो रहा है। अभी तो हमने शुरुआत ही की थी।