झारखंड में रघुवर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को पराजित कर सत्ता हासिल करने वाले मुख्मंत्री हेमंत सोरेन ने मैनहर्ट घोटाला मामले में रघुवर दास को घेरा है। सीवरेज-ड्रेनेज के डीपीआर से संबंधित घोटाले की एसीबी ( एंटी करप्शन ब्यूरो) को जांच का जिम्मा सौंपा है। सत्ता से बेदखल होने के बाद रघुवर दास किराने पड़े हुए थे। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रघुवर दास को पुनर्वासित करते हुए संगठन में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया तो हेमंत सरकार उन्हें घेरने में लग गई। पद हासिल करने के बाद रांची पहुंचे रघुवर दास का पार्टी कार्यालय में स्वागत हो रहा था उसी समय मैनहर्ट घोटाले की एसीबी जांच को अंतिम रूप दिया जा रहा था। मुख्यमंत्री सचिवालय ने गुरूवार की रात कोई नौ बजे आदेश के निर्णय से मीडिया को अवगत करा दिया।
कहा गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची शहर के सीवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में तत्कालीन नगर विकास मंत्री रघुवर दास एवं अन्य के द्वारा की गई अनियमितता, भ्रष्टाचार एवं षडयंत्र के विरुद्ध मामला दर्ज कर आवश्यक कार्रवाई करने के मामले में झारखंड विधानसभा में सामान्य प्रयोजन समिति के सभापति सरयू राय के परिवाद पत्र एवं मानीय उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में अग्रेतर कार्रवाई हेतु एसीबी से जांच कराने का आदेश दिया। भाजपा कार्यालय में अपने स्वागत समारोह के दौरान रघुवर दास गिरती कानून-व्यवस्था और भ्रष्टाचार को ले हेमंत सरकार पर आक्रमण कर रहे थे मगर हेमंत सरकार ने उन्हें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही घेर लिया। संभावना जतायी जा रही है कि दुमका चुनाव में भी सरकार इसे कैश करायेगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जिस सरयू राय के परिवार की चर्चा की है रघुवर दास की कैबिनेट में सदस्य थे। लंबे समय के मतभेद के बाद इस्तीफा देकर रघुवर दास के खिलाफ ही निर्दलीय विधानसभा चुनाव लड़कर उन्हें पराजित किया। मैनहर्ट घोटाले पर उन्होंने बीते जुलाई महीने में 164 पेज की एक पुस्तक भी लिखी। जिसमें मैनहर्ट को काम देने में अनियमितता को लेकर विधानसभा समिति, निगरानी, अदालत और विभागीय टिप्पणियों को ही आधार बनाया। इसकी प्रति भाजपा अध्यक्ष नड्डा, अमित शाह, राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित विभन्न हस्तियों को सौंपा। '' लम्हों की खता '' में हमला के केंद्र में रघुवर दास ही थे। सरयू राय मामले की जांच को लेकर लगातार उठाते रहे हैं। हाल ही हेमंत सोरेन से मामले की जांच की मांग की थी।
रघुवर दास की इस मामले में दलील है कि मामला बहुत पुराना है, इसकी जांच भी हो चुकी है। मुख्य सचिव तक जांच कर चुके हैं। कैबिनेट में मामला आया। वहीं से स्वीकृति मिली। कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान किया गया। जिस समय इसे स्वीकृति दी गई थी केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी और झारखंड में अर्जुन मुंडा के नेतृत्व में गठबंधन की सरकार थी। जिस समय कोर्ट के आदेश पर भुगतान हुआ उस समय न तो मैं झारखंड का मुख्यमंत्री था न ही मंत्री। जिस समय में नगर विकास मंत्री था उस समय मैनहर्ट के मामले में मैंने कमेटी बनवाई थी। उसके बाद की सरकारों ने इस पर फैसला लिया तो मैं इसमें कहां आता हूं। दिलचस्प यह भी कि मैनहर्ट के परामर्शी चयन के संबंध में सवाल उठाया गया था। दो शिकायत आई थी एक मोहम्मद ताहिर और दूसरा बी ईश्वर राव के नाम से। अजीब संयोग था कि दोनों की शिकायत में लगभग सभी शब्द एक समान थे। इसके बाद ताहिर ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। अदालत ने निगरानी में शिकायत का निर्देश देते हुए मामले को निष्पादित कर दिया था। 2010 में उच्च न्यायालय के आदेश के बाद एसीबी ने प्रारंभिक जांच रिपोर्ट दी। इस बीच परामर्शी मैनहर्ट ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की और अदालत ने 25 अप्रैल 2011 को कंपनी को भुगतान करने का आदेश सरकार को दिया। उस समय वित्त मंत्री के रूप में उप मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ही थे, मैं सरकार में नहीं था।