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मध्य प्रदेश: दहल उठा हरदा

राज्य में अवैध कारखानों और उनमें होने वाले हादसों का थम नहीं रहा सिलसिला चार दशक पहले हुए ऐतिहासिक...
मध्य प्रदेश: दहल उठा हरदा

राज्य में अवैध कारखानों और उनमें होने वाले हादसों का थम नहीं रहा सिलसिला

चार दशक पहले हुए ऐतिहासिक भोपाल गैस हादसे की भयावह स्मृतियां बीती 6 फरवरी को एक बार फिर लौट आईं जब यहां से महज डेढ़ सौ किलोमीटर की दूरी पर स्थि‍त हरदा शहर धधक उठा। इस बार फिजाओं में रातोरात चुपचाप फैलने वाली कोई जहरीली गैस नहीं थी, बल्कि हरदा-मगरधा रोड पर 35 नंबर वॉर्ड की एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में रखा 15 टन बारूद सुलग उठा। इस विस्फोट का विनाशक असर पैंतीस किलोमीटर  के दायरे में हुआ। मकानों की खिड़कियों के कांच टूट-टूट कर गिरने लगे। चंद मिनटों के भीतर एक के बाद एक इतने धमाके हुए कि लगा कोई ज्वालामुखी फूट पड़ा हो। पूरे शहर में अफरातफरी मच गई। हादसे के वक्त लोगों की आवाजाही ज्यादा थी और कम से कम सौ लोग कारखाने में काम कर रहे थे, इसलिए लोगों और स्थानीय विधायक की मानें तो इस हादसे में सैकड़ों जानें गई हैं, हालांकि सरकारी आंकड़ा अभी केवल 13 तक पहुंचा है। घायलों की अधिकारिक संख्या 200 के ऊपर है और लापता लोगों की कोई गिनती नहीं है क्योंंकि आसपास के खेतों में बिखरे हुए शवों और शरीर के अंगों के साथ मलबे में से अब तक लाशों का निकलना जारी है।

हरदा की तहसीलदार लवीना घागरे का कहना है कि इस फैक्ट्री की पूर्व में हुई शिकायत के बाद जांच भी हुई थी और इसे सील भी किया गया था, लेकिन फैक्ट्री मालिक अपने राजनीतिक संपर्कों का लाभ उठाकर यहां सुतली बम और पटाखे बना रहा था। घटना की भयावहता और मीडिया रिपोर्टिंग में सरकारी आंकड़ों पर सवाल के चलते राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 7 फरवरी, 2024 को घटना का स्वत: संज्ञान लेते हुए मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

इस मामले में फैक्ट्री के मालिक राजेश अग्रवाल, सोमेश अग्रवाल सहित पर्यवेक्षक रफीक खान और तीन अन्य लोगों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या के लिए सजा), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया गया है।

विस्फोट के तुरंत बाद आवाज सुनते ही वहां जमा लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाना शुरू कर दिया था। जिला प्रशासन की ओर से एंबुलेंस में घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर घायलों को समय से अस्पताल नहीं पहुंचाया जाता तो मरने वालों की तादाद बहुत ज्यादा हो सकती थी। 

विस्फोट के बाद बचाव कार्य में जुटे राहतकर्मी

विस्फोट के बाद बचाव कार्य में जुटे राहतकर्मी

दुर्घटना के संबंध में मंत्रालय में शासन की आपात बैठक बुलाई गई और हेलीकॉप्टरों की व्यवस्था के लिए सेना से संपर्क किया गया। इंदौर, भोपाल के अस्पतालों और एम्स भोपाल की बर्न यूनिटों में इमरजेंसी के लिए जल्द से जल्द इंतजाम करने के निर्देश भी दिए गए। इंदौर और भोपाल से दमकल गाड़ियां भी हरदा के लिए तुरंत रवाना कर दी गई थीं। नर्मदापुरम में भी अस्पतालों में घायलों के उपचार के लिए व्यवस्था की गई थी। घायलों को लाने के लिए ग्रीन कॉरीडोर बनाने के निर्देश दिए गए। मंत्री राव उदय प्रताप सिंह, अपर मुख्य सचिव अजीत केसरी तथा डीजी होमगार्ड को मौके पर रवाना किया गया और घटना की जांच के आदेश दिए गए।

घायलों को देखने भोपाल के हमीदिया अस्पताल पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बताया कि यहां 12 घायलों को लाया गया था जिनमें से एक की मौत हो गई। हादसे के कुछ अंतराल बाद सरकार ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि 24 घंटे में प्रतिवेदन भेजें कि उनके जिले में संचालित पटाखा फैक्ट्री का संचालन नियमानुसार हो रहा है या नहीं।

राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक मृतक के परिवार को चार-चार लाख रुपये की राशि, गंभीर घायल व्यक्ति के लिए दो लाख रुपये की राशि और साधारण रूप से घायल व्यक्ति के लिए 50 हजार रुपये की राशि सहायता स्वरूप देने का निर्णय हुआ है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घटना पर शोक जताते हुए प्रत्येक मृत व्यक्ति के परिवार के लिए दो-दो लाख रुपये और घायल के लिए 50 हजार रुपये की राशि स्वीकृत की है। हरदा में हादसे से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए नौ जिलों से विभिन्न संसाधनों की व्यवस्था की गई है।

हादसे के बाद हरदा के एसडीएम केसी परते ने मीडिया को बताया कि उक्त पटाखा फैक्ट्री फिट नहीं थी और यही हादसे की वजह बना। 2015 में इस फैक्ट्री के अंदर हुए विस्फोट में दो श्रमिकों की मौत के बाद 2022 में इसे बंद करने का आदेश दिया गया था। उससे एक साल पहले 2021 में इसके मालिक को दस साल की सजा भी सुनाई गई थी, जिसे उसने अदालत में चुनौती दी थी।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस हादसे की पूरी निष्पक्षता से जांच की मांग रखी है। मध्य प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने हादसे की वजहों की जांच के लिए दो सदस्यीय टीम का गठन किया है। जांच कमेटी की कमान उन्होंने पूर्व मंत्री पीसी शर्मा और रामू टेकम को सौंपी है।

हादसे को हफ्ता भर बीत जाने के बाद भी कई लोगों के लापता होने की खबर आ रही थी। खबर लिखे जाने तक पांच परिवारों ने परिजनों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। हरदा के सिविल लाइन थाने के प्रभारी संतोष सिंह चौहान के अनुसार दो अज्ञात शवों की तब तक पहचान नहीं हो पाई थी। जिन परिवारों ने गुमशुदगी दर्ज कराई थी, उनके ब्लड सैंपल लेकर डीएनए जांच के जरिये शवों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। पुलिस अन्य लापता लोगों को खोजने का काम भी कर रही है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार को भेजे अपने नोटिस में दोषी और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी सवाल किया है।

हरदा और मध्य प्रदेश के लिए यह ऐसा कोई पहला हादसा नहीं है। लगभग तीन साल पहले हुए ऐसे ही एक विस्फोट में तीन मजदूरों की मौत हो गई थी। साढ़े आठ साल पहले झाबुआ जिले के पेटलावद में जिलेटिन की छड़ों के एक गोदाम में विस्फोट हुआ था। वह भोपाल में दसवें विश्व हिन्दी सम्मेलन का दिन था और सम्मेलन में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पेटलावद हादसे की सूचना दी गई थी। पेटलावद हादसा इतना भयानक था कि इसमें सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 79 लोगों की मौत हो गई थी। जब इस हादसे की जांच का फैसला आया तो थाना प्रभारी की वेतन वृद्धि रोके जाने से अधिक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

कुछ ऐसा ही नतीजा बालाघाट के किरनापुर में 2015 और खैरी में 2017 में सामने आया था जिसमें कुल 29 लोगों की जान गई थी। दमोह में भी एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके से सात लोगों की जान जा चुकी है। बताया जाता है कि उक्त पटाखा फैक्ट्री चार साल से बिना अनुमति के चल रही थी। अब इस घटना को छह साल हो चुके हैं, लेकिन पीड़ितों से किए वादे आज तक पूरे नहीं हुए हैं और अवैध कारखाने धड़ल्ले से जारी हैं।

हादसों का सिलसिला

31 अक्टूबर 2023: दमोह में पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट। हादसे में फैक्ट्री मालिक समेत तीन लोगों की मौत और 10 घायल। मजिस्ट्रेट जांच दो महीने में पूरी होने के बाद रिपोर्ट शासन को भेजी गई, लेकिन जांच में सीधे तौर पर किसी को दोषी नहीं ठहराया गया।

20 अक्टूबर 2022: मुरैना की एक पटाखा फैक्ट्री में धमाका होने से मकान ध्वस्त। हादसे में एक बच्चे समेत 4 लोगों की मौत होने की ख़बर सामने आई।

13 अप्रैल 2022: ग्वालियर की अवैध पटाखा फैक्ट्री में ब्लास्ट से एक महिला की मौत और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया।   

6 अप्रैल 2017: दतिया में अवैध पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट के बाद एक ही परिवार के पांच लोगों की मौत हो गई।


 

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