देश के पहले दृष्टि बाधित आइएएस अधिकारी राजेश कुमार सिंह झारखंड के बोकारो जिला के डीसी यानी जिलाधिकारी बनाये गये हैं । उनको भले देखने में परेशानी हो मगर दुनिया उन्हें देख रही है । बोकारो में उन्होंने अपना योगदान दे दिया है । गुरूवार की शाम व अधिकारियों के साथ बैठक में व्यस्त थे। बोकारो डीसी बनने के बाद उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मुख्य सचिव सुखदेव सिंह के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि पहली बार किसी दृष्टिबाधित अधिकारी को जिले की कमान सौंपी गई है । विश्वास दिलाता हूं कि उनकी उम्मीदों पर खरा उतरूंगा । अभी वे झारखंड में उच्च शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग में विशेष सचिव के पद पर काम कर रहे थे ।
नौकरी के प्रारंभिक चरण में वे एसडीओ व एडीएम की भूमिका भी निभा चुके हैं । ऐसे में माना जा रहा है कि डीसी की कुर्सी उनके लिए बड़ी चुनौती साबित नहीं होगी । क्रिकेट खेलने के शौकीन राजेश सिंह बचपन में ही जब वे करीब छह साल के थे बॉल कैच करने के क्रम में कुएं में जा गिरे और सदा के लिए आंखों की रोशनी चली गई । बमुश्किल दस फीसद रोशनी बची है । वह 1998, 2002 और 2006 में दिव्यांगों के लिए आयोजित विश्व कप क्रिकेट में भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं । आंखों की रोशनी चले जाने के बावजूद उन्होंने जीवन की चुनौतियों से संघर्ष करते हुए आगे की पढ़ाई की। देहरादून मॉडल स्कूल, दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू में शिक्षा ग्रहण किया । फिर यूपीएससी की परीक्षा पास कर आइएएस बने । चुनौतियां तब भी कम नहीं थीं ।
दृष्टि बाधित होने के कारण सरकार ने उन्हें नौकरी के योग्य नहीं माना, विरोध करती रही । इसी बीच दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में पढ़ाने वाली, तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री डॉ उपेंद्र से उनकी मुलाकात हुई। इसके बाद प्रधानमंत्री से उनकी मुलाकात हुई। रास्ता दिखा, फिर ये अपने पक्ष में न्याय के लिए देश की सबसे बड़ी अदालत पहुंचे । मामले की सुनवाई तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर और अभिजीत पटनायक की बेंच ने की । अल्तमस कबीर कभी झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी थे । फैसला इनके पक्ष में आया । अदालत ने केंद्र को इनकी नियुक्ति का निर्देश दिया । अदालत की टिप्पणी थी आइएएस के लिए दृष्टि नहीं दृष्टिकोण की जरूरत है । राजेश यूपीएससी की परीक्षा तो 2007 में ही पास कर गये थे मगर लंबी लड़ाई के बाद 2011 में इनकी नियुक्ति हुई, झारखंड कैडर मिला ।
राजेश मूलत: बिहार में पटना जिला के धनरुआ प्रखंड के रहने वाले हैं । देखना है कि कोरोना काल में बोकारो डीसी की नई चुनौती का कैसे मुकाबला करते हैं ।