झारखण्ड में कोरोना की जांच के दौरान एक नयी तस्वीर उभर कर सामने आयी है। यहां ग्रामीण इलाकों में कोरोना से कहीं बहुत अधिक टीबी, शुगर और बीपी के मरीज सामने आ रहे हैं। 25 मई से प्रदेश में सघन रूप से लोक स्वास्थ्य जांच का अभियान का काम जारी है। जांच के चार दिनों के भीतर करीब 82 लाख लोगों की जांच हुई जिसमें महज 762 कोरोना संक्रमित पाये गये। जबकि 5,990 में टीवी, 43,766 में शुगर और 46,359 में बीपी के लक्ष्ण पाये गये।
शुगर और बीपी भी पांच प्रतिशत, यानी संक्रमण की तरह बढ़ रहे हैं। इनकी आवश्यक जांच और उपचार का परामर्श दिया गया है। राट्रीय स्वास्थ्य अभियान के प्रदेश नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी के अनुसार पहली टीम ने जांच के दोरान 53,795 लोगों में कोरोना के लक्ष्ण पाये थे। इनमें 51,605 की रैपिट एंटीजन टेस्ट में सिर्फ 762 ही कोरोना संक्रमित मिले जिनमें मात्र पांच को ही कोविड केयर सेंटर में एडमिट करना पड़ा।
सर्वाधिक गिरिडीह में 723, दुमका में 575, जामताड़ा में 485, पश्चिम सिंहभूम में 431, पूर्वी सिंहभूम में 367 और पलामू में 362 लोगों में टीबी के लक्ष्ण वाले मामले पाये गये। हालांकि इन जिलों में जांच भी ज्यादा लोगों की हुई है।
टीबी का लक्ष्ण भी कोरोना से मिलता है। इसके बारे में भी मान्यता है कि कोरोना की तरह सामाजिक दूरी इसके प्रसार को रोकता है। हवा में कोरोना वायरस की भांति बूंदों के माध्यम से फैलता है। लंबे समय तक खांसी और बुखार, बलगम में खून के साथ वजन कम होना इसके लक्ष्ण हैं। 2025 तक टीबी को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य सरकार ने रखा है। सिर्फ रांची में ही टीबी का रिकवरी रेट करीब 75 प्रतिशत है। ऐसे में सघन स्वास्थ्य जांच अभियान में करीब छह हजार लोगों में टीबी के लक्ष्ण सरकार के लिए चिंता का कारण हो सकता है।