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शिवराज के विरोध में सहरिया बच्चों ने खाए अंडे

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के आंगनबाड़ी में अंडे न दिए जाने के फैसले के विरोध में सहरिया समुदाय के 100 से अधिक बच्चों ने खाए अंडे
शिवराज के विरोध में सहरिया बच्चों ने खाए अंडे

 मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आंगनबाड़ी में बच्चों को अंडे देने से मना करने के फरमान का विरोध आज सहरिया समुदाय के बच्चों ने अंडे खाए। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के श्रीपुरा गांव के करीब 100 से अधिक बच्चों ने प्रतीकात्मक विरोध के तौर पर अंडे खाए। इस कार्यक्रम का आयोजन गांववालों ने ही किया था।

इस इलाके में सार्वजनिक वितरण प्रणाली पर सर्वे कर रहे वरिष्ठ अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने आउटलुक को बताया कि जब अंडे खाने के बारे में उन लोगों ने गांववालों से बात की तो पता चला कि वे चाहते है कि उनके बच्चे अंडा खाए। इसी क्रम में ग्राम सभा ने खुद चंदा करके बच्चों को अंडा खिलाने का फैसला किया। यह सब राज्य सरकार द्वारा अंडे ना खिलाए जाने के विरोध में किया गया।

 गांव के बच्चों को पता चला कि आज दिन में उबले अंडे मिलने वाले हैं, तो वे बड़ी संख्या में जुट गए। इस पूरे इलाके के लिए ही राज्य सरकार के पास यह सुझाव गया था कि पायलेट आधार पर यहां आंगनबाड़ी में अंडे दिए जाए। मध्य प्रदेश में बच्चों में और खास तौर से आदिवासी बच्चों में भीषण कुपोषण है। इस कुपोषित बच्चों को ही अंडे देने का प्रस्ताव था। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल तीन जिलों-मांडला, होशंगाबाद और अलिराजपुर में आंगनबाड़ी में अंडे देने की योजना को जिस तरह से राज्य के मुख्यमंरी शिवराज सिंह चौहान ने नामंजूर कर दिया था, उससे पूरे इलाके में बेहद नाराजगी थी। यहां के लोगों ने इसे उनके खान-पान पर एक समुदाय विशेष की पसंद को थोपने वाले कदम के रूप में देखा।

बच्चों ने अंडे खाने के बाद बाकी लोगों के साथ मिलकर नारा लगाया, संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे। बच्चों के साथ कई गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं ने भी अंडे खाए। भोजन के अधिकार अभियान से जुड़े सचिन जैन का कहना है कि शिवपुरी के तमाम गांवों में अंडे बेहद लोकप्रिय है। मजे की बात है कि यहां अच्छे खासे लोग अंडे को शाकाहारी मानते हैं। अंडों को देश भर में सस्ता और अच्छा प्रोटीन माना जाता है। उड़ीसा, बिहार औऱ झारखंड जैसे गरीब राज्यों में इसे आंगनबाड़ी के तहत दिए जाने वाले आहार में शामिल किया गया है। श्रीपुरा में इस अभियान में शामिल हुईं भोजन के अधिकार अभियान की कार्यकर्ता आरुषि कालरा का कहना था, बच्चे अंडा वितरित होने की खबर भर से जबर्दस्त ढंग से उत्साहित थे। उनके लिए एक अंडे का बहुत महत्व है। उन्हें अंडे से दूर रखना, नाइंसाफी है।

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