वीरेंद्र सिंह रावत
अखिलेश सरकार ने अपने कार्यकाल के दौरान लखनऊ, नॉएडा, बरेली समेत अन्य स्थानों में ‘साइकिल ट्रैक’ बनवाए थे और इसे अपनी सरकार के विकास के एजेंडा के रूप में पेश किया था। इस परियोजना में करोड़ों रुपये खर्च हुए थे और इसके विस्तार कि भी योजना प्रस्तावित थी, परन्तु 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी सरकार बुरी तरह से परस्त हुई और भाजपा सत्तासीन हुई।
अब, योगी आदित्यनाथ सरकार नें फैसला किया है कि इन साइकिल ट्रैक्स को ध्वस्त किया जायेगा, क्योंकि इनसे न केवल मुख्य और भीडभाड वाले मार्गों में जाम कि समस्या बन गयी है, वरन नालियों की प्रणाली भी प्रभावित हुई है। बीते रविवार को, प्रदेश के शहरी विकास मंत्री सुरेश खन्ना नें बरेली में एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि इन साइकिल ट्रैक्स का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि इसमें लोगों नें अतिक्रमण कर रखा है और इसका उपयोग साइकिल चलने हेतु नहीं हो रहा है।
प्रदेश के एक और कद्दावर मंत्री सतीश महाना, जिनके पास औद्योगिक विकास विभाग है, ने भी इन साइकिल ट्रैक्स की उपयोगिता पर सवाल उठाए हैं कि जब इनका उपयोग साइकिल सवार नहीं करते हैं, तो इसकी क्या जरुरत है। ये सच भी है, क्योंकि अगर राजधानी लखनऊ की ही बात करें तो इन तथाकथित साइकिल ट्रैक्स ने न केवल सड़कों कि चौड़ाई को कम किया है, इसने अतिक्रमण करने वालों की भी चांदी कर दी है। कई स्थानों पर तो इनका उपयोग पार्किंग के रूप में भी हो रहा है तो कहीं ठेले में सामान बेचने वाले इनका उपयोग करते दिखते हैं।
इस बीच, अखिलेश ने एक बयान जारी कर के भाजपा के इस प्रस्तावित कदम की भर्त्सना की है और इसे पार्टी के जन और विकास विरोधी कदम के रूप में प्रस्तुत किया है।