सरकार को यदि बातचीत करनी ही है तो जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक से करे। बिना मलिक की मौजूदगी के आंदोलनकारियों की तरफ से सरकार के साथ बातचीत करने चंडीगढ़ कोई नहीं जाएगा। ऐसे में एक बात साफ है कि आंदोलनकारी जाटों और सरकार के बीच आज प्रस्तावित बातचीत एक दफा फिर से असफल होने की कगार पर है।
आरक्षण सहित कई अन्य मांगों के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों में जाट समाज के लोग 5 जून से धरना लगाए बैठे हैं और सभी जगह आंदोलन शांतिपूर्वक चल रहा है। खास बात यह है कि विभिन्न खापों ने जाट आरक्षण आंदोलन से पूरी तरह किनारा किया हुआ है। इसी कारण आंदोलनकारी इन खाप नेताओं से भी खार खाए बैठे हैं कि बार-बार कहने के बावजूद खापों के नेता जाट समाज के साथ उनकी लड़ाई में साथ देने के लिए आगे नहीं आ रहे तो फिर सरकार से बातचीत करने वे किस अधिकार से चंडीगढ़ जाएंगे।