झारखंड में राजनीतिक संकट और अविश्वास के माहौल के बीच मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन सदन में विधायकों का विश्वास हासिल करने में जुटे। और विपक्ष के वाकआउट के बीच विश्वास मत हासिल भी कर लिया। बहुमत के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत है मगर उनके पक्ष में 48 विधायकों ने वोटिंग की, विपक्ष में शून्य वोट पड़े। माइनिंग लीज के मामले में हेमन्त सोरेन की विधायकी खतरे में है। राज्यपाल किसी भी समय फैसला सुना सकते हैं।
हेमन्त सोरेन को बहुमत हासिल है। 81 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 41 की संख्या पर्याप्त है और हेमन्त सोरेन के साथ 50 से अधिक विधायक हैं। अविश्वास इसलिए कि कहीं उनके सहयोगी कांग्रेस के किले में भाजपा सेंधमारी न कर दे। महाराष्ट्र की तरह झारखंड में भी कोई शिंदे न तलाश लिया जाये। यही कारण है कि विधायकी को लेकर जब से चुनाव आयोग ने राज्यपाल को अपना मंतव्य (जो आधिकारिक तौर पर सामने नहीं आया है) भेजा उसके बाद से हेमन्त विधायकों को एकजुट रख रहे हैं। पिछले आठ-नौ दिनों से यह सिलसिला चल रहा है।
यूपीए की सुबह बैठक, शाम में बैठक। खूंटी से लेकर रायपुर तक रिसोर्ट की राजनीति चल रही है। इसी बीच सत्रावसान को एक्सटेंड कर एक दिन के लिए विधानसभा का सत्र आहूत किया गया। विश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए, हालांकि किसी ने नेतृत्व पर अविश्वास नहीं जाहिर किया है। सोमवार को एकदिनी विधानसभा में हाजिर होने के लिए रविवार को ही विमान से यूपीए विधायकों को रांची वापस लाया गया। एकसाथ स्टेट गेस्ट हाउस में टिकाया गया। सुबह में खुद हेमन्त सर्किट हाउस पहुंचे। एकजुट बस में सवार हो तमाम यूपीए विधायक यहां से विधानसभा पहुंचे। वहां भी कोई विधायक छिटके नहीं इसका पूरा ध्यान रखा गया। उसी गेट से सीएम जाते हैं उसी से इन विधायकों को प्रवेश दिलाया गया।
दुमका में किशोरी को जिंदा जला दिये जाने सहित अपराध की घटनाओं को लेकर भाजपा के हंगामे के बीच सोमवार को हेमन्त सोरेन ने विश्वास मत का प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि विश्वास प्रस्ताव पेश करने की वजह भाजपा है। जहां इनकी सरकार नहीं होती ये गृह युद्ध जैसा माहौल बना देते हैं। मौके पर उन्होंने भाजपा के आक्रमण का जवाब भी दिया। सदन के भीतर भी भाजपा के विधायक सवाल करते रहे कि हेमन्त क्यों विश्वास प्रस्ताव पेश कर रहे हैं, यूपीए विधायकों का फ्लोर टेस्ट करा रहे हैं जबकि न किसी अदालत, न राज्यपाल न ही विपक्ष ने इस तरह का निर्देश दिया, मांग की। विधायक बीते सप्ताह अपराध की गंभीर घटनाओं और यूपीए विधायकों के रिसॉर्ट में ठहराने, नौका विहार कराने को लेकर सरकार पर हमलावर रहे।
अपने आक्रमण को लेकर चर्चा में रहने वाले सरयू राय ने कहा विश्वास प्रस्ताव की वजह समझ में नहीं आ रहा। सदन की कार्यवाही के बाद विधायक कहां जायेंगे। भाजपा विधायक दल के नेता झारखंड विकास मोर्चा की पार्टी से अलग होकर कांग्रेस में शामिल हुए प्रदीप यादव ने कहा कि यहां के चार उप चुनाव में भाजपा पराजित हुई। डरी हुई है।
जीत नहीं सकती इसलिए विधायकों को खरीदने में लगी है। 2014 का साल गवाह है कैसे झारखंड विकास मोर्चा के विधायकों को भाजपा ने खरीदा। खुद बाबूलाल मरांडी इसके गवाह हैं। बाबूलाल की चिट्टी और समाचार पत्रों के कतरन मेरे पास मौजूद हैं। बहरहाल सदन में बहस जारी है तो यूपीए विधायकों की एकजुटता के हिसाब से हेमन्त को परेशानी नहीं दिख रही। ऐसे में विश्वास प्रस्ताव सरकार के खिलाफ संभावित किसी और संकट का उपाय तो नहीं।