रांची। कोरोना संक्रमण के बीच जब बहुराष्ट्रीय कंपनियों में काम करने वाले भी संकट के दौर से गुजर रहे हों। वहां भी एक-सवा करोड़ रुपये का पैकेज आसान नहीं है। ऐसे में दुमका जैसे पिछड़े इलाके में ही एक-सवा करोड़ रुपये सालाना का इंतजाम हो जाये तो इसे क्या कहेंगे। संभव है देश, दुनिया की बड़ी कंपनियों में काम करने वाले लोग दौड़े भागे चले आयेंगे। मगर दुमका का यह पैकेज साइबर अपराधियों के लिए है। दुमका पुलिस ने गुमरो पहाड़ी से जब तीन साइबर अपराधियों को पकड़ा तो इसका खुलासा हुआ।
डीएसपी मुख्यालय विजय कुमार के अनुसार पकड़े गये साइबर अपराधियों ने बताया कि ऑपरेटर यानी साइबर फ्रॉड का सरगना इन साइबर अपराधियों को 35 हजार, 15 हजार और 10 हजार रुपये दैनिक के हिसाब से पारिश्रमिक देता है। 35 हजार दैनिक यानी साल के करीब 1.26 करोड़ रुपये। लैपटॉप ऑपरेट करने वाले को दैनिक दस हजार रुपये और महिला की आवाज में (एप की मदद से महिला की आवाज निकालने वाले) कस्टमर केयर का स्टाफ बनकर शिकार बनाने वाले को 15 हजार रुपये और पैसा आते ही दूसरे खाते में ट्रांसफर करने वाले को 10 हजार रुपये दिये जाते हैं। डीएसपी विजय कुमार के अनुसार महिला की आवाज निकलने के लिए एप की मदद लेते हैं और पैसा खाते में आते ही चंद सेकेंड में दूसरे खाते में डाल दिया जाता है।
पकड़े गये तीन लोगों में राकेश मंडल और पंकज देवघर का और मानिक चंद्र दुमका जिला क रहने वाला है। 35 हजार रुपये दैनिक पाने वाला राकेश मंडल ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है मगर लैपटॉप चलाने में उस्ताद है। यही वेबसाइट-पोर्ट में अपना नंबर फीड करता था ताकि कोई कस्टमर केयर पर डायल करे तो बात साइबर ठगों से हो। एटीएम ब्लेक होने, केवाइसी या लाइफ सर्टिफिकेट के लिए 15 हजार रुपये दैनिक पाने वाला पंकज महिला की आवाज में बात करता था। और मानिक सेकेंड भर में ही खाते में आये पैसे को दूसरे खाते में ट्रांसफर कर देता था। रेड के दौरान चार-पांच साइबर अपराधी भाग निकले। अनुमान ही लगाया जा सकता है कि काम करने वालों को इतने पैसे मिलते थे तो ऑपरेटर खुद कितना कमा लेता होगा और कितने लोगों से रोज ठगी होती होगी। और इस तरह के गिरोह यहां भरे पड़े हैं। जामताड़ा तो पूरे देश में साइबर अपराधियों के गढ़ के रूप में ख्यात है। बगल का जिला देवघर, साहिबगंज और दुमका भी नया गढ़ बन गया है।
पैसे देकर अपराध के किस्से भी झारखंड में एक से एक हैं। पिछले साल मार्च में ही । माओवादी दस्ते में शामिल होने के लिए एक लाख रुपये मासिक का ऑफर दिया था। पलामू के कथित माओवादी सब जोनल कमांडर विधिवत फेसबुक पर सुभाष राज नाम के व्यक्ति ने यह ऑफर निकाला था। संपर्क करने के लिए फोन नंबर भी जारी किया था। उसके पहले साहिबगंज में मोबाइल चोर गिरोह के सदस्यों को पांच से दस लाख रुपये मासिक दिये जाने के बीत सामने आई थी। कम उम्र के बच्चों को गिरोह में शामिल किया जाता था। दिसंबर 2020 में पुलिस ने इसका भंडाफोड़ किया था। अभिभावकों को इसके लिए तीन साल का एग्रीमेंट करना होता था। तीन पहाड़ से पुलिस ने 122 महंगे मोबाइल बरामद किये थे। तब पकड़े गये लोगों से खुलासा हुआ कि साहिबगंज के महाराजपुर, बाबूपुर, महादेववरा गांव के मोबाइल चोर देश भर में फैले हुए हैं।