डीवीसी ( दामोदर घाटी निगम) के बकाया बिजली बिल के एवज में केंद्र सरकार द्वारा राज्य के खजाने से 1417.50 करोड़ रुपये काट लिया जाना झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नागवार गुजरा है। शुक्रवार को देर शाम कैबिनेट की बैठक के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि इस मसले पर वे प्रधानमंत्री से बात करेंगे। उन्हें पत्र भी लिखेंगे। इस तरह का कदम केंद्र और राज्य के बीच खटास पैदा करने वाला है।
बकाया का ठीकरा पूर्व की भाजपा की रघुवर सरकार पर फोड़ते हुए कहा कि उन्हीं के शासन के दौरान भुगतान को लेकर त्रिपक्षीय समझौता हुआ और उनके शासन में डीवीसी के बकाया के एवज में एक भी पैसे का भुगतान नहीं किया गया मगर उस समय राशि नहीं काटी गई। हमारे शासन में तो डीवीसी को अदायगी होती रही। उन्होंने कहा कि दूसरे प्रदेशों का भी बकाया होगा मगर किनका कितना बकाया है मुझे नहीं मालूम। उन राज्यों के खाते से कटौती नहीं हुई। झारखंड छोटा राज्य है, इसका बकाया भी कम होगा। मगर कटौती की पहल झारखंड से पहल हुई। यह विरोधी शासन वाले राज्यों को अस्थिर करने की साजिश है। हमारा जीएसटी कंपनसेशन और कोयला खदानों की जमीन का अरबों रुपये बकाया केंद्र के पास बकाया है। हेमंत सोरेन ने ट्वीट किया है कि झारखंड के राजकोषीय व्यवस्था को असंतुलित करने की सुनियोजित कोशिश बंद करे केंद्र सरकार। बीजेपी झारखंड को टैग करते हुए लिखा है कि भाजपा की डबल इंजन की सरकार ने वैसे ही राज्य की अस्मिता गिरवी रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। झारखंड की पूर्व की भाजपा सरकार ने संघीय ढांचे को भी तार-तार कर राज्य को दोराहे पर खड़ा कर दिया है और अब यह...। उन्होंने राज्य के खजाने से कटौती की ओर इंगित किया है।
बता दें कि त्रिपक्षीय समझौते के आलोक में ऊर्जा मंत्रालय के पत्र के बाद आरबीआइ ने राज्य के आरबीआइ के खाते से यह राशि काटकर ऊर्जा मंत्रालय के खाते में जमा करा दी है। कुल करीब 5608.32 करोड़ रुपये बकाया था, समय पर भुगतान नहीं करने पर राज्य सरकार के खजाने से राशि काट लेने की चेतावनी दी गई थी। 1417.50 करोड़ की राशि कटौती की पहली किस्त है।