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नये साल में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवा का हेमन्‍त का वादा, भय का माहौल खत्‍म करना सबसे बड़ी उपलब्धि

नये साल में झारखंड सरकार का फोकस स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर होगा, जन सुविधाओं को अंतिम आदमी तक पहुंचाने...
नये साल में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य सेवा का हेमन्‍त का वादा, भय का माहौल खत्‍म करना सबसे बड़ी उपलब्धि

नये साल में झारखंड सरकार का फोकस स्‍वास्‍थ्‍य सेवाओं पर होगा, जन सुविधाओं को अंतिम आदमी तक पहुंचाने का लक्ष्‍य लेकर काम होगा। अपनी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर मीडियाकर्मियों से बात करते हुए मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने कहा कि दो साल छोटी बड़ी चुनौतियों से भरा रहा। नये साल में बेहतर स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली विकसित करेंगे। कहा कि स्‍वास्‍थ्‍य और शिक्षा कोर एरिया है जिस पर हमारा फोकस है। काम करूंगा। स्‍वास्‍थ्‍य को ले खूबसूरत मॉडल राज्‍य के सामने रखेंगे। अभी बोलना नहीं चाहता। परिपक्‍व नहीं है योजना। ऐसा मकड़जाल लोगों ने फैला रखा है, उसका समाधान कहां है, है भी या नहीं है किसी को पता नहीं है। लेकिन हम नये सिरे से होमवर्क कर रहे हैं। नये साल में अच्‍छी स्‍वास्‍थ्‍य प्रणाली आप देख पायें। स्‍कूलों की नई कार्य योजना तैयार की है, हिंदी मीडियम के साथ-साथ राज्‍य सरकार प्राइवेट स्‍कूलों की तरह अंग्रेजी मीडियम स्‍कूल भी खोलेगी हर जिले और प्रखंडों में भी। पहले चरण में 24 जिलों में 80 मॉडल स्‍कूलों को और दूसरे चरण में 325 स्‍कूल खोलेंगे। अगले सत्र से पढ़ाई शुरू होगी। मकसद यह कि यहां के बच्‍चे भी प्राइवेट स्‍कूल वालों से प्रतिस्‍पर्धा कर सकें। जल्‍द डिजिटल स्किल यूनिवर्सिटी खोलने जा रहे हैं जहां दक्षता हासिल करने के साथ युवा रोजगार भी हासिल करेंगे।

सबसे बड़ी उपलब्धि है भय से मुक्ति

दो साल की सबसे बड़ी उपलब्धि को वे प्रदेश में शांति के रूप में देखते हैं। हेमन्‍त सोरेन कहते हैं कि इस राज्‍य में 2014 से जो डर, भय, अशांति, डरावना माहौल था आज वह नहीं है। सबसे बड़ी संतुष्टि कि जहां सरकार का अंतिम व्‍यक्ति खड़ा है, वहां तक सरकार की पहुंच है।
कोरोना में राहत
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि सरकार ठीक से स्‍थापित भी नहीं हुई थी कि कोरोना महामारी ने दस्‍तक दी। झारखंड देश के अत्‍यंत पिछड़े प्रदेशों में है जहां 80 प्रतिशत गांवों में रहते हैं। मजदूरी और खेतखलिहान पर उनकी निर्भरता है। उनके लिए अत्‍यंत पीड़ादायी रहा। यहां के लोगों को राहत देने के लिए कोविड काल से आज तक ग्रामीण से शहरी आबादी तक कई योजनाओं के माध्‍यम से लोगों को राहत पहुंचाई। जो जीने का साधन बना।

लोगों के घर तक पहुंचा शासन

कोविड काल में जब लोग घरों में बैठे रहे हमलोग कई कार्य योजना बनाई और जो सुरक्षित समय आया राज्‍य के विभिन्‍न कोनों में जाने का प्रयास किया। पूर्व में जिस तरह सरकार प्रदेश, जिला और ब्‍लॉक मुख्‍यालय से काम करती थी आज पंचायतों में गांवों में लोगों के दरवाजे तक पहुंचा दिया। दुर्गम इलाकों में अधिकारी, मंत्री, जनप्रतिनिधि कोई बैल गाड़ी, कोई ट्रैक्‍टर पर पहुंचा। लोगों के बीच में उनके लिए बनाई जा रही योजना को उनके सुपुर्द किया जा रहा है। इस दौरान तीस-पैंतीस लाख लोगों का आवेदन प्राप्‍त हुआ। विभिन्‍न तरह की शिकायतें आईं। इनमें बीस-पच्‍चीस लाख आवेदनों का ऑन द स्‍पॉट समाधान किया। शेष का भी तेजी से समाधान हो रहा है। इस तरह सरकार दिन रात राज्‍य के लोगों के सुख दुख को ध्‍यान में रखते हुए खड़ी है।

पेंशन के लिए देने पड़ते थे रिश्‍वत

डिलिवरी मेकेनिज्‍म से जुड़े सवाल पर कहा कि निचले स्‍तर पर निगेटिव फोर्स हावी रहा। शासन को मुख्‍यालय से गांव पहुंचाया। मिडिल मैन को बीच से समाप्‍त करने की कार्ययोजना चल रही है। पेंशन लेने के लिए एक बुजुर्ग, दिव्‍यांग, महिला को पांच-छह हजार रुपये रिश्‍वत देना पड़ता था। यूनिवर्सल पेंशन योजना लागू हो चुकी है तो बिचौलिये की जगह कहां। 70-75 लाख लोगों को इसका लाभ मिलना है। सरकार आपके द्वार अभियान के दौरान ही ढाई लाख लोगों को पेंशन पेमेंट आर्डर जारी हो चुका है। दो साल में किस फैसले से आपको सबसे अधिक आनंद आया पर हेमन्‍त सोरेन ने कहा कि लोग वर्षों से तरश रहे थे, राशन कार्ड कब मिलेगा, पेंशन कब मिलेगा वह मिनटों में हो रहा है। उनका इशारा सरकार आपके द्वार अभियान की ओर था। 15 नवंबर से शुरू और 29 दिसंबर तक चले वाले सरकार आपके द्वार के सवाल पर उन्‍होंने कहा कि अभी उपलब्धि का आकलन करेंगे। उसके बाद तय करेंगे कि कौन सी तकनीक अपनायी जाये कि राहत की यह व्‍यवस्‍था कायम रहे। अधिकारी जो पहले जो निठल्‍ले थे आज जमीन पर बैठकर काम कर रहे हैं। कार्यपालिका कभी निठल्‍ला नहीं होती, शासन निठल्‍ला होता है।

मुख्‍यमंत्री ने कहा कि चार-छह माह में कई महत्‍वपूर्ण निर्णय लिये गये, राज्‍य के लिए मील के पत्‍थर साबित होंगे। कुछ निर्णय देश में क्रांतिकारी निर्णय के रूप में देख सकते हैं। जिस राज्‍य में दो वक्‍त का अनाज नहीं मिलता था, तन ढकने को कपड़े नहीं थे, छोटे इलाज के लिए दवा खरीदने में असमर्थ थे ऐसे लोगों तक सरकार की नजर, आवाज, योजना पहुंचाने के लिए हम संकल्पित है। पढ़े लिखे से अनपढ़ युवाओं को आगे बढ़ाने का मार्ग प्रशस्‍त किया है। अलग अलग क्षेत्रों में चाहे पर्यटन हो, खेल हो या वन क्षेत्र उद्योग, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य का प्रक्षेत्र हो लंबी कार्य योजना तैयार की है जिसका प्रभाव आने वाले 25-30 साल तक देख पायेंगे। हर समुदाय को चुनौती भरे वक्‍त में राहत देने का प्रयास किया है।

मॉब लिंचिंग कानून का विरोध बेवजह

मॉब लिंचिंग का भाजपा के विरोध से जुड़े सवाल पर मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वजह उन्‍हीं से पूछना चाहिए। खुद कहा, कोई कारण नहीं है। यह किसी वर्ग विशेष के लोगों के लिए नहीं है। कानून अपनी जगह पर खड़ा है। सीमा लांघेंगे तो कानून अना काम करेगा। भाजपा जिस मंसूबे के साथ राजनीतिक एजेंडे को लागू करने का साजिश कर रही है लगता है यह उनके मंसूबे पर यह कानून पानी फेरेगा। शायद इसकी का उन्‍हें डर हो और क्‍या डर होगा।

भाजपा के इतने मुखौटे

जनगणना में आदिवासी सरना कोड के सवाल पर सर्वदलीय शिष्‍टमंडल में दिल्‍ली भाजपा के लोग भी गये, यहां राज्‍यपाल के यहां नहीं गये। इसकी वजह पर मुख्‍यमंत्री बोले कि भाजपा के चेहरे इतने हैं, मुखैटे इतने हैं, इसके इतने अंग हैं कि आम व्‍यक्ति के लिए इसे पहचान पाना बड़ा कठिन है। किस शक्‍ल में किस सूरत में ये आपके सामने आयेंगे। क्‍योंकि ये लोग बड़े शातिर, चतुर और बड़े ज्ञानी लोग हैं। जहां इनके बहकावे में लोग आते हैं, वहां जो हस्र होता है वे लोग समझते हैं। उनसे पूछा गया कि एक दिन पहले अंग्रेजी मीडिया के लोगों से कहा कि केंद्र में रावण की सरकार है। हेमन्‍त ने कहा कि मैंने तो पहले ही कहा कि उनके कितने चेहरे हैं मुखौटे हैं पहचान पाना कठिन है।

नियुक्ति कायदे से होगी

नियुक्ति के लिए निकलने वाले विज्ञापनों पर विवाद से जुड़े सवाल पर मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने कहा कि मैं भी सोचता हूं आखिर वजह क्‍या है, विवाद क्‍यों होता है। जेपीएससी हो, स्‍टेट सर्विस कमीशन हो, आयोग हो, दूसरे प्रदेशों में विवाद क्‍यों नहीं होता। लोगों को लगता है कि झारखंड सबसे बेहतर चारागाह है। लोग यूपी से भी आयेंगे, बिहार से भी आयेंगे, अन्‍य राज्‍यों से आयेंगे। क्‍यों नहीं, छत्‍तीसगढ़, यूपी, मध्‍य प्रदेश जाते हैं। वहां कोई थोड़ा सा जाता है तो सिर फोड़वाकर आता है। ऐसी मानसिकता विद्मान है जिसे पूरा समर्थन मिलता है।
जेपीएससी विवाद पर मुख्‍यमंत्री ने कहा कि वह स्‍वायत है तो हम कहां आते हैं। कोई बता दें कि एक भी हस्‍तक्षेप हुआ हो। बीस सालों में नियमावली नहीं बनी। हमने बना दिया। हमारी वह भूमिका नहीं है जो पूर्व में बिना परीक्षा दिये नौजवान डीएसपी और कलक्‍टर बनकर बैठे हैं। ये किनके-किनके हैं वे उनके बगल के बेडरूम में सोते होंगे। हमारे भाजपा के सहयोगियों के घरों में। सीबीआई की जांच चल रही है परिणाम मुझे लगता है 80 साल के बाद आये। तब तक ये राज्‍य का क्‍या गंजन कर चुके होंगे। आज रिजल्‍ट में कमजोर वर्ग के बच्‍चे ज्‍यादा आते हैं। और पूर्व सीएम बोलते हैं यहां के लोग नौकरी के लिए सक्षम नहीं हैं।

नियुक्ति वर्ष में नौकरियों पर उन्‍होंने कहा कि मैं मोराबादी मैदान में नौकरी बांटने बैंठ जाऊं तो ऐसा नहीं हो रहा। खिलाडियों को पहली बार नौकरी मिली, डाक्‍टरों, शिक्षकों को नौकरी मिली। हर कार्यक्रम में जाते हैं डेढ़-दो सौ को नियुक्ति पत्र देते हैं। बादल फटने जैसा चाहते हैं तो सारी चीजें खराब हो जायेंगी। बिना नियुक्ति नियमावली के नियुक्ति करना शुरू कर दें तो पुरानी समस्‍या बहाल रहेगी।

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