लैंड म्यूटेशन बिल पर हेमंत सरकार बैकफुट पर है। विपक्ष के साथ हेमंत सरकार में सहयोगी कांग्रेस ने भी इस मसले पर सरकार को घेरा है। यह पहला मौका है जब हेमंत सरकार को इस तरह की मात खानी पड़ रही है। विधानसभा के चालू मानसून सत्र में ही इस विधेयक को पेश किया जाना था। सोम और मंगलवार को सदन की कार्यवाही चलेगी। कांग्रेस के विरोध को देखते हुए उम्मीद नहीं है कि उसे नाराज करने वाला कदम उठायेगी।
सदन की बैठक को लेकर कांग्रेस विधायक दल की बैठक में ही सदस्यों ने इसका जमकर विरोध किया था। मंत्रियों की भी आम राय थी कि इस मसले पर मुख्यमंत्री से बात होनी चाहिए। झारखंड विकास मोर्चा से कांग्रेस में शामिल हुए बंधु तिर्की के आह्वान पर विभिन्न संगठनों नें 15 सितंबर को रांची में विभिन्न स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया था। तिर्की ने कहा था कि बिल खतरनाक है, इससे काला अध्याय शुरू होगा। इस प्रकार से सत्ता में रहकर भी बंधु तिर्की ने इस मोर्चे पर बाजी मारी। शुक्रवार को उन्होंने मुख्यमंत्री को बधाई भी दी, इससे जाहिर होता है कि इस सत्र में बिल लाने का इरादा टाल दिया गया है।
शुक्रवार को कांग्रेस अध्यक्ष सह वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि हम इस विधेयक से सहमत नहीं हैं, संशोधन की जरूरत है। विधेयक के प्रारूप को कैबिनेट की मंजूरी के बाद ही भाजपा ने इसका कड़ा विरोध किया था। पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने तो ट्वीट कर बताया कि मेरे समय में भी कैबिनेट की मंजूरी के लिए दो बार यह प्रस्ताव आया था मगर उसे वापस कर दिया था। भाजपा के रघुवर सरकार के समय में यह '' रेवेन्यू प्रोटक्शन एक्ट '' के रूप में लाया गया था। झारखंड म्यूटेशन एक्ट 2020 के प्रस्तावित प्रावधान के अनुसार अंचलाधिकारी या अन्य अधिकारी द्वारा जमीन से संबंधित मामले के निष्पादन के दौरान किये गये किसी काम के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती।
अदालत में संबंधित के खिलाफ किसी तरह का आपराधिक या सिविल मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता। इसी बिंदु को लेकर विपक्ष भड़क गया। भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने तो इसके खिलाफ सदन से सड़क तक आंदोलन की धमकी दे डाली। उनके अनुसार जमीन का मामला देखने वाले अधिकारी सीओ, कर्मचारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता किसी गड़बड़ी में शामिल पाये गये तो उनके खिलाफ सिविल और आपराधिक मामला दर्ज नहीं हो पायेगा। राज्य में जमीन खरीद में गड़बड़ी के रोजाना सौ से अधिक मामले सामने आ रहे हैं। इस कानून के लागू होने के बाद तो उन्हें खुली छूट मिल जायेगी। पूर्व मंत्री व भाजपा नेता देवकुमार धान ने कहा कि यह आदिवासियों और मूल वासियों को उनकी जमीन से बेदखल करने की साजिश है।
जब विपक्ष हमलावर हुआ, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दुमका में दो-तीन दिनों के दौरे पर थे। वहीं से राजस्व एवं भूमि सुधार सचिव केके सोन को मीडिया में सफाई देने का फरमान सुनाया। प्रेस कांफ्रेंस कर सोन ने सफाई भी दी कि बिल में अफसरों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक की बात गलत है। मगर बात नहीं बनी। उसके बाद हेमंत के सहयोगी कांग्रेसी भी विपक्ष की भूमिका में दिखे। सदन में बिल पेश नहीं कर सरकार विपक्ष से बड़ा मुद्दा छीन सकती है तो सहयोगी कांग्रेस की नाराजगी को भी दूर कर सकती है।