रांची। किन्नरों की हालत भी अजीब है, न घर में इज्जत न समाज में। बड़ी जमात को नौकरियों में आरक्षण है मगर इनके लिए कोई स्थान नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में इनके पक्ष में आदेश दिया मगर उसका अनुपालन अभी भी होना बाकी है। निजी कंपनियों में तो स्थिति और भी खराब है। बच्चा होने पर घरों में बलैया लेने के लिए आने वाली टोली के रूप में इनकी पहचान है। ऐसे में किसी दफ्तर में सारे के सारे काम करने वाले किन्नर हों तो यह सुखद तस्वीर है। ऐसी ही तस्वीर उभर रही है झारखण्ड के कोयला पट्टी वाले रामगढ़ जिला से। एचआइवी पीड़ितों, थर्ड जेंडर, स्वास्थ्य प्रक्षेत्र, स्किल डेवलपमेंट आदि के लिए काम करने वाली संस्था ट्राइ इंडिया की पहल से यह होने जा रहा है। जिला प्रशासन ने भी इसकी सहमति दे दी है।
संस्था के सचिव उत्पल दत्त ने आउटलुक से कहा कि अप्रैल महीने में यह दफ्तर चालू हो जायेगा। थर्ड जेंडर पर हमारी संस्था पहले से काम कर रही है। उनके दर्द को करीब से देखा और जाना है। ऐसे में महसूस हुआ कि छोटा प्रयास ही सही एक नमूना पेश किया जाये। रामगढ़ में चालू हो रहे इस दफ्तर में 13 कर्मियों की नियुक्ति कर रहे हैं। सब के सब किन्नर रहेंगे। यह दफ्तर समेकित स्वास्थ्यय केंद्र और किन्नरों के कल्याण के लिए काम करेगा। रामगढ़ डीसी ने इससे संबंधित प्रस्ताव अपनी सहमति के साथ सीसीएल के महाप्रबंधक को भेज दिया है। सीसीएल के सहयोग से इसे आकार दिया जा रहा है। उत्पल दत्त कहते हैं कि यह केंद्र एक सिंगल विंडो सेंटर की तरह काम करेगा। उसमें सेक्स वर्करों, ट्रांस जेंडर, एड़स पीड़ितों आदि की समस्याओं को दूर करने, कानून प्रदत्त अधिकार दिलाने, उनमें जागरूकता पैदा करने आदि दिशा में काम किया जायेगा। इस मामले में यह अनूठा होगा कि यह देश का पहला कार्यालय होगा जहां काम करने वाले सब के सब किन्नर होंगे। कहते हैं कि किन्नरों का हाल ज्यादा ही चिंताजनक है। उनकी संख्या को लेकर कोई आंकड़ा तक नहीं है। अनेक राज्यों में इनके कल्याण के लिए ट्रांसजेंडर बोर्ड का गठन किया है मगर झारखण्ड में अभी कोई पहल नहीं हुई है।