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किसकी नाकामी!, टीका लेने के लिए सेंटर-दर-सेंटर भटक रहे लोग, नहीं मिल रही वैक्सीन; मंत्री ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा

रांची सदर अस्‍पताल में सन्‍नाटा है सुदेश अपने बच्‍चों को टीका का पहला डोज लगवाना चाहते थे।...
किसकी नाकामी!, टीका लेने के लिए सेंटर-दर-सेंटर भटक रहे लोग, नहीं मिल रही वैक्सीन; मंत्री ने केंद्र पर फोड़ा ठीकरा

रांची सदर अस्‍पताल में सन्‍नाटा है सुदेश अपने बच्‍चों को टीका का पहला डोज लगवाना चाहते थे। अस्‍पताल गये मगर मालूम हुआ कि टीका नहीं लग रहा। डोज खत्‍म हो चुका है। कांटा टोली के रतन एक-दो केंद्रों से घूमते हुए यहां आये हैं, दूसरा डोज लेना है। टीकाकरण न होने से निराश लौट रहे हैं। जहां टीका लेने वालों की भीड़ रहती थी, सन्‍नाटा है। वैक्‍सीन नहीं है इसलिए यहां एक को भी नहीं दिया गया। वैक्‍सीन का डोज खत्‍म होने के कारण रांची ही नहीं बल्कि प्रदेश के अधिसंख्‍य टीका केंद्रों का यही हाल है। रामगढ़ जैसे कई जिले हैं जहां बुधवार को टीकाकरण शून्‍य रहा। टीका केंद्रों पर सुबह से ही ताले लटके रहे। राजधानी रांची में ही बुधवार को सिर्फ चार केंद्रों पर किसी तरह बहुत सीमित मात्रा में टीकाकरण का काम चलता रहा। राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य अभियान झारखण्‍ड के नोडल अधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी के अनुसार झारखण्‍ड को 80 लाख डोज वैक्‍सीन मिलनी चाहिए थी मगर 11 लाख डोज कम मिली। दो जुलाई को करीब छह लाख वैक्‍सीन आने वाली है, उसके बाद ही टीकाकरण की रफ्तार सुधर पायेगी। हां, कुछ निजी अस्‍पतालों में भुगतान के आधार पर टीकाकरण का काम हो रहा है।

इधर राज्‍य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री बन्‍ना गुप्‍ता ने टीकाकरण प्रभावित होने का ठीकरा केंद्र सरकार पर फोड़ा है। बुधवार को उन्‍होंने कहा कि वैक्‍सीन को लेकर केंद्र सरकार राजनीति कर रही है। पहले तो गलत आंकड़े पेश कर दुष्‍प्रचार किया गया कि देश में वैक्‍सीन की सर्वाधिक बर्बादी झारखण्‍ड में हुई। जबकि यहां राष्‍ट्रीय औसत से कम बर्बादी हुई। अब पैमाने और जरूरत के हिसाब से वैक्‍सीन की आपूर्ति नहीं की जा रही है। पीएम का संबोधन था 13 मार्च को कि भारत वैक्‍सीन का हब हो गया है। हम पूरी दुनिया को सप्‍लाई करेंगे। यदि दुनिया को सप्‍लाई के लिए तैयार हैं तो झारखण्‍ड जैसे पिछड़े, गरीब, आदिवासी बहुल राज्‍य को वैक्‍सीन क्‍यों नहीं दे रहे। आइसीएमआर की गाइडलाइन को अपने हिसाब से डिस्‍ट्रॉय कर रहे हैं। कभी कहते हैं छह से बारह सप्‍ताह, फिर कहा आठ से बारह सप्‍ताह में दूसरा डोज लेना होगा। आपकी पोल खुलनी शुरू हुई, वैक्‍सीन हब का दावा फर्जी था। तो आपने बारह से सोलह सप्‍ताह कर दिया। मुझे जबकि वैज्ञानिकों ने इसका विरोध किया मगर केंद्र अपना कुकर्म छुपाने के लिए देश की जनता को गुमराह कर रहा है।

केंद्र ने 25 प्रतिशत वैक्‍सीन डोज निजी अस्‍पतालों को सौंपने का निर्णय कर रखा है। राज्‍य सरकार ने इसका विरोध किया है। अपर मुख्‍य सचिव स्‍वास्‍थ्‍य अरुण कुमार ने इस सिलसिले में केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि झारखण्‍ड में 75 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है और जिलों में निजी अस्‍पतालों की संख्‍या बहुत सीमित है।

साथ ही सूबे की 37 प्रतिश आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है जो भुगतान के आधार पर टीका लेने में सक्षम नहीं है। ऐसे में सरकारी स्‍तर पर ही टीकाकरण व्‍यावहारिक तौर पर संभव है। राज्‍य सरकार ने केंद्र से आग्रह किया है कि निजी अस्‍पतालों को वैक्‍सीन का कोटा 25 से घटाकर पांच प्रतिशत किया जाये। जनवरी से अप्रैल के बीच तो निजी अस्‍पतालों के टीकाकरण की हिस्‍सेदारी भी महज दो प्रतिशत रही। पूर्व में केंद्र सरकार ने राज्‍यों को 48 वर्ष से कम के लोगों को खुद खरीदकर टीकाकरण का निर्देश दिया तो राज्‍य सरकार ने अपने खर्च पर मुफ्त टीका देने का निर्णय किया था। कंपनियों से करीब 48 करोड़ की लागत से साढ़े चौदह लाख डोज की खरीद की थी। अब केंद्र सरकार ने सब को मुफ्त टीका देने का निर्णय किया है तो राज्‍य सरकार ने 48 करोड़ रुपये की प्रतिपूर्ति की भी मांग की है। बहरहाल प्रदेश में 15.4 प्रतिशत लोगों को पहला डोल पड़ा है। दूसरा डोज महत 2.8 प्रतिशत लोगों को लग पाया है। तीसरे लहर की आशंका को देखते हुए राज्‍य सरकार अपने स्‍तर से बेड और संसाधनों को इंतजाम कर रही है मगर टीकाकरण की रफ्तार बढ़ाये बिना काम नहीं चलने वाला।

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