झारखंड में साहिबगंज के पीरपैंती के जिरबाड़ी थाना के मदनसाही की रहने वाली महिला का प्रसव कराने परिजन जिला सदर अस्पताल लेकर आये थे। मियाद के हिसाब से डॉक्टर ओटी में लेजाकर उसका ऑपरेशन शुरू किया। पेट चीरा, मगर यह क्या ऑपरेशन के बीच में ही डॉक्टर ने हाथ खड़ा कर दिया। डॉक्टर को लगा कि गंभीर मसला है। यूट्रस किसी कोशिका से चिपका हुआ है। वहां एक्सपर्ट गायनोकोलॉजिस्ट की जरूरत थी मगर उस अस्पताल में थी नहीं।
बस आनन फानन उसे दूसरे अस्पताल के लिए रेफर कर दिया। इसके बाद परिजनों के हाथ-पांव फूल गये। ना उम्मीद से हो गये। युवती की मां ने डॉक्टर का यह फरमान सुना तो खूब शोर मचाया। रोती बिलखती रही कि मेरी बेटी को बचा लीजिए, गरीब आदमी हैं। तब वहां के डॉक्टर और दूसरे कर्मी लापता हो गये। महिला चीखती रही कि पेट की सिलाई भी नहीं की। कह रहे हैं ले जाइए माया गंज। प्रसूता और बच्चे दोनों की जान पर खतरा भांप किसी तरह बदहवास दूसरे अस्पताल ले गये। शुक्र था कि दूसरे अस्पताल में ऑपरेशन सफल रहा।
वहीं, सदर अस्पताल की डॉक्टर पूनम ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान पता चला कि यूट्रस दूसरी कोशिका से सट गया है, पेट खोलने के बाद ही यह पता चला। एक ऑपरेशन पहले हो चुका है। हम यहां ऑपरेशन नहीं कर सकते। ऑपरेशन के पहले समस्या की जानकारी नहीं हुई थी। इस केस में विशेषज्ञ गायनोकोलॉजिस्ट की जरूरत थी, जो सदर अस्पताल में नहीं है। ऐसे में बेहतर चिकित्सा के लिए दूसरे अस्पताल में रेफर करना ही बेहतर समझा गया।