दिसम्बर 2012 में दिल्ली में एक चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार जैसे देश को झकझोर देने वाले काण्ड के नाबालिग आरोपी का पैतृक गांव बदायूं में है और वहां के अनेक लोग नहीं चाहते कि निर्भया का दोषी अब कभी अपने गांव लौटे। गांव के बुजुर्ग फूलचंद्र का कहना है कि निर्भया काण्ड के दोषी उस लड़के ने इतना घिनौना काम किया है कि उसे अब इस गांव में रहने का कोई अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि निर्भया काण्ड के बाद बाहर पढ़ने वाले इस गांव के युवाओं को हिक़ारत भरी नजरों से देखा जाता है। गांव के निवासी अनिल, कुन्नू, रामपाल, गुलाब और नरेश समेत बड़ी संख्या में लोगों की इच्छा है कि निर्भया का गुनहगार अब कभी गांव वापस ना लौटे।
हालांकि वारदात के वक्त नाबालिग होने की वजह से मात्र तीन साल की सजा पाए निर्भया के साथ दरिंदगी के दोषी लड़के के परिजन तथा कुछ और लोग उसके गांव वापस लौटकर सुधरने और उसे नई जिंदगी शुरू करने का एक मौका देने की हिमायत भी कर रहे हैं। उसकी मां का कहना है कि परिवार का कोई भी सदस्य उसे लेने के लिए दिल्ली नहीं जाएगा लेकिन उनकी दिली ख्वाहिश है कि उनका बेटा बाल सुधार गृह से छूटकर सीधा अपने गांव वापस आए और बेहद गरीबी में जी रहे अपने परिवार की मदद करे। उसने बताया कि उसका पति मंदबुद्धि है और परिवार का भरण-पोषण दो जवान बेटियों की मेहनत-मजदूरी से होता है। ऐसे में परिवार को अपने बेटे की सख्त जरूरत है। गांव के ही हाजी तौसीफ रजा समेत कई लोगों का कहना है कि जिंदगी का इतना बड़ा सबक सीखने और ताजिंदगी दाग का दंश देने वाली सजा भुगतने के बाद लड़के को नया जीवन शुरू करने का एक और मौका तो मिलना ही चाहिए। गांव के लोग उसे अपने पैरों पर खड़े होने में पूरी मदद करेंगे ताकि वह दोबारा अपराध के दलदल में न फंसे।
गौरतलब है कि 16 दिसम्बर 2012 को दिल्ली के वसंत विहार इलाके में चलती बस में मेडिकल की एक छात्रा से हुई सामूहिक बलात्कार की वारदात ने पूरे देश और दुनिया को हिला दिया था। उस वारदात में गंभीर रूप से घायल उस लड़की की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। उस कांड का एक नाबालिग दोषी तीन साल की सजा भुगतने के बाद रिहा हो रहा है। पिछले दिनों दिल्ली उच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई पर रोक लगाने के अनुरोध को ठुकरा दिया था। इसके बाद ही उसकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया।