लगभग दो महीने पहले कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं को समीक्षा के बाद एक-एक करके रिहा किया जाएगा। यह जानकारी जम्मू-कश्मीर के गवर्नर के सलाहकार फारूक खान ने गुरुवार को दी। उन्होंने कहा कि कश्मीर में नजरबंद सभी नेताओं को एक साथ रिहा नहीं किया जाएगा। प्रशासन सभी पहलुओं पर विचार करने और प्रत्येक राजनीतिज्ञ की समीक्षा करने के बाद ही रिहाई का निर्णय लेगा। पाकिस्तान द्वारा लगातार संघर्ष विराम के उल्लंघन पर फारूक खान ने कहा, 'पाकिस्तान को पहले एक सबक सिखाया गया है, और अगर जरूरत पड़ी, तो एक और सबक सिखाया जाएगा।'
जम्मू-कश्मीर में पुलिस और सुरक्षा अधिकारियों की गतिविधियां तेज करने को लेकर उन्होंने कहा, 'किसी आतंकी खतरे के चलते नहीं, बल्कि ऐहतियात के तौर पर यह कदम उठाया गया है। क्षेत्र में पुलिस, सेना, बीएसएफ सहित सभी अलर्ट हैं ताकि जरूरत पड़ने पर आतंकवादियों को उचित जवाब दिया जा सके।'
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म किए जाने से पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला समेत क्षेत्रीय दलों के अनेक नेताओं को हिरासत में लिया गया था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया है। यह केंद्र शासित प्रदेश 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे।
पीठ करेगी सुनवाई
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 में संशोधन करने के केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को मंजूर करते हुए सुनवाई के लिए 14 नवंबर की तारीख तय की है। जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने इन याचिकाओं पर जबाव मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को खारिज कर दिया कि जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को दो सप्ताह से ज्यादा समय नहीं दिया जाना चाहिए।