कहते हैं पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती। लुधियाना की रजनी बाला इसका ताजा उदाहरण हैं।
44 साल की रजनी अपने 16 साल के बेटे दीपक के साथ दसवीं की परीक्षा देकर एक मिसाल पेश कर रही हैं। शहर के हैबोवाल कलां स्थित सरकारी हाई स्कूल में अपने बेटे के साथ परीक्षा दे रहीं रजनी ने 29 साल बाद फिर से पढ़ाई शुरू की है। रजनी ने 29 साल पहले तरन तारन के आर्य गर्ल्स हाई स्कूल से 9वीं की परीक्षा पास की थी लेकिन पारिवारिक परेशानी के चलते वह 1990 में दसवीं की परीक्षा नहीं दे सकीं। अब पति की प्रेरणा से उन्होंने दोबारा पढ़ाई शुरू की है।
Ludhiana: 44 yr old Rajni Bala is studying & appearing for class 10 exams with her son. Rajni says,'my husband motivated me to study. I am working as ward attendant in Civil Hospital & felt need to complete my class 10. Initially, felt odd going to school again but l'm happy now' pic.twitter.com/xa0DYR7MgU
— ANI (@ANI) March 28, 2018
रजनी ने बताया कि वह पढ़ना चाहती थीं लेकिन 9वीं के बाद पारिवारिक परेशानी के चलते पढ़ाई नहीं कर पाईं। वे बताती हैं कि पति राजकुमार साथी पिछले कई साल से उस पर आगे पढ़ाई करने के लिए कह रहे थे। जिसके बाद पिछले साल उन्होंने पंजाब ओपन स्कूल बोर्ड में दाखिला लिया और अब वह दसवीं की परीक्षा दे रही हैं। बता दें कि रजनी की दो बेटियां भी हैं जो ग्रेजुएशन पूरी कर चुकी हैं।
रजनी बाला के पति राजकुमार साथी ने कहा कि मैं काफी समय से उनसे दसवीं करने के लिए कह रहा था क्योंकि पढ़ाई-लिखाई की कोई उम्र नहीं होती।
She completed class 9 in 1989 but discontinued her studies due to family problems.Have been saying to her to complete class 10 from many yrs & that age is no bar for education: Raj Kumar Sathi,husband of Rajni Bala who is appearing for class 10 exams along with her son #Ludhiana pic.twitter.com/NrH1q2TSqm
— ANI (@ANI) March 28, 2018
लुधियाना के सिविल हॉस्पिटल में पार्ट टाइम वार्ड अटेंडेंट के तौर पर तैनात रजनी का कहना है कि पढ़-लिख जाऊंगी तो नौकरी रेग्यूलर होने का चांस मिल सकता है। निजी तौर पर पढ़ते हुए ग्रेजुएशन करना उनका लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि शुरू-शुरू में छोटे बच्चों के बीच बैठकर पढ़ना थोड़ा अजीब लगता था, लेकिन अब वह अपने फैसले पर खुश हैं तो वहीं बेटे दीपक का कहना है कि अपनी मां के साथ पेपर देने आना उनके लिए गर्व की बात है।