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मध्य प्रदेश: SC में बोले बागी विधायकों के वकील, 'कांग्रेस के किसी नेता से मिलना नहीं चाहते’

सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस के 22 बागी विधायकों की ओर...
मध्य प्रदेश: SC में बोले बागी विधायकों के वकील, 'कांग्रेस के किसी नेता से मिलना नहीं चाहते’

सुप्रीम कोर्ट में फ्लोर टेस्ट को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कांग्रेस के 22 बागी विधायकों की ओर से वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि बागी विधायक किसी कांग्रेसी नेता से नहीं मिलना चाहते। उन्हें इसे लेकर बाध्य करने के लिए कोई कानून नहीं है। उन्होंने कहा कि बागी विधायक संविधान के तहत हर सजा भुगतने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे किसी कांग्रेसी नेता से नहीं मिलना चाहते। 

कांग्रेस ने की फ्लोर टेस्ट उपचुनाव तक स्थगित करने की मांग

मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच कांग्रेस चाहती है कि मध्य प्रदेश में फ्लोर टेस्ट खाली सीटों पर उप-चुनाव के बाद हो। समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार याचिका पर सुनवाई के दौरान पार्टी ने राज्य विधानसभा में फ्लोर टेस्ट रिक्त सीटों के लिए उपचुनाव तक स्थगित करने की मांग की। कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अगर इस दौरान तक कमलनाथ सरकार रहती है तो आसमान टूट के गिर नहीं जाएगा। बता दें कि मध्य प्रदेश में तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने याचिका दायर की है।

शिवराज ने कांग्रेस के उप चुनाव तक शक्ति परीक्षण टालने की मांग का किया विरोध

वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस की उस याचिका का विरोध किया, जिसमें उसने उप चुनाव तक शक्ति परीक्षण टालने की मांग की है। चौहान ने मध्य प्रदेश विधानसभा में तत्काल शक्ति परीक्षण की मांग करते हुए कहा कि कमलनाथ सरकार एक दिन भी सत्ता में नहीं रह सकती क्योंकि वह बहुमत खो चुकी है।

इससे पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लाल जी टंडन की ओर से दो बार सरकार को निर्देश दिया गया कि वह बहुमत का परीक्षण कराए हालांकि कमलनाथ सरकार ने 16 विधायकों के कथित तौर पर गायब होने का दावा कर अपने कदम पीछे खींच लिए। इसके बाद राज्य के पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और फ्लोर टेस्ट कराए जाने का निर्देश देने की याचिका दायर की। 

सत्ता की लोभ के कारण दिए जा रहे तमाम तर्क

कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि भाजपा ने इस संकट को पैदा किया है। शिवराज सिंह चौहान की ओर से मुकुल रोहतगी ने इसपर आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि जिस पार्टी ने 1975 में आपातकाल लगाकर लोकतंत्र की हत्या की वो अब संविधान की दुहाई दे रही है। उन्होंने कहा कि 22 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे के बाद, राज्य सरकार को एक दिन भी चलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। सत्ता की लोभ के कारण ये तमाम तर्क दिए जा रहे हैं। 

22 विधायकों ने कहा- कांग्रेसी नेताओं से खतरा

इससे पहले बेंगलुरु में मौजूद 22 विधायकों ने कर्नाटक पुलिस के डायरेक्टर जनरल को पत्र लिखकर कहा है कि उनसे मिलने के लिए किसी कांग्रेसी नेता या सदस्य को अनुमति न दी जाए, ताकि उनकी जिंदगी और सुरक्षा खतरे में न पड़े। इसके बाद कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि सुरक्षा देने वाले भाजपा नेता कौन होते हैं। यह काम पुलिस का है। डीजीपी से इस बारे में जानकारी दी गई है। अगर रामदा होटल से भाजपा के लोगों को पुलिस नहीं हटाती है, तो हम वहां जाएंगे और उन्हें हटाएंगे। हम कांग्रेस मुख्यालय जा रहे हैं। वहां इसे लेकर चर्चा होगी और कोई निर्णय लेंगे।

विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया- कमलनाथ

वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि दिग्विजय सिंह हमारे राज्यसभा उम्मीदवार हैं। वे वहां विधायकों से मिलने गए थे, लेकिन उन्हें सुरक्षा में खतरा बताया गया। वहां 500 पुलिस जवान तैनात होने के बाद भी खतरा बन गए? इससे पता चलता है कि विधायकों को बंधक बनाकर रखा गया है और भाजपा सरकार को गिराने की कोशिश कर रही है। बता दें कि आज सुबह दिग्विजय सिंह बेंगलुरु पहुंचने के बाद विधायकों से मिलने रामदा होटल पहुंचे। उनसे मिलने की इजाजत न मिलने के बाद वे धरने पर बैठ गए थे। इसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। बाद में उन्हें रिहा भी कर दिया गया। विधायकों ने कहा है कि वे यहां खुद की मर्जी से आए हैं। वे दिग्विजय सिंह या किसी से भी नहीं मिलना चाहते।

फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

फ्लोर टेस्ट की मांग को लेकर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि विधायकों को फिर से चुनाव लड़ना चाहिए। यह सुनने के बाद जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा कि यही तो वे करना चाहते हैं। वे अपनी सदस्यता छोड़ रहे हैं और इसके बाद वे चुनाव भी लड़े सकते हैं। दवे ने इसके बाद कहा कि आसमान नहीं गिर रहा है कि कांग्रेस सरकार तुरंत चली जानी चाहिए और शिवराज सिंह चौहान की सरकार को जनता पर थोप देना चाहिए।

राज्यपाल से मिलेगा कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल

इससे पहले सुनवाई के दौरान कांग्रेस विधायकों की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं। मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा जताया था। 18 महीने से सरकार अच्छे से काम कर रही थी। यह याचिका मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवाराज सिंह चौहान ने दायर की है। वहीं, कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात करने वाला है।

लोकतांत्रिक सिद्धांतों को खतरे में डाल रही भाजपा- दुष्यंत दवे

दुष्यंत दवे ने न्यायालय को यह भी बताया कि भाजपा बल का प्रयोग करके लोकतांत्रिक सिद्धांतों को खतरे में डाल रही है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने ये याचिका दायर की है। मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो वे भी विधायकों से मिलने बेंगलुरु जा सकते हैं।

मंगलवार को भी हुई थी सुनवाई

गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान की याचिका पर मंगलवार को अदालत ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को नोटिस जारी किया था। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की अध्यक्षता वाली एक खंडपीठ ने मुख्यमंत्री, स्पीकर, विधानसभा के प्रमुख सचिव, मध्य प्रदेश और राज्यपाल को नोटिस जारी किया था।

कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के भाई की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले कांग्रेस विधायक मनोज चौधरी के भाई की याचिका को खारिज करके पार्टी बड़ा झटका दिया है। इस याचिका में विधायक को छोड़ने की मांग की गई थी। कथित तौर पर याचिकाकर्ता का दावा है कि उसके भाई और अन्य विधायकों को भाजपा और कर्नाटक पुलिस द्वारा जबरन बंधक बनाकर रखा गया है।

दिग्विजय सिंह कमिश्नर ऑफिस पहुंचे

वहीं, आज सुबह बेंगलुरु पहुंचे दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं को एहतियातन हिरासत से रिहा कर दिया गया है। इसके बाद वे कमिश्नर ऑफिस पहुंचे हैं। इनके साथ कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेता सज्जन सिंह वर्मा भी साथ में हैं। इससे पहले दिग्विजय ने कहा, 'मुझे नहीं पता कि मुझे कहां ले जाया जा रहा है। मुझे अपने विधायकों से मिलने की अनुमति नहीं दी जा रही चाहिए। मैं कानून का पालन करने वाला नागरिक हूं। सरकार भी बचाएंगे और विधायकों को भी वापस लाएंगे।'

बेंगलुरु पहुंचने के बाद धरने पर बैठ गए थे दिग्विजय

बेंगलुरु पहुंचने के बाद दिग्विजय सिंह रामदा होटल के पास धरने पर बैठ गए थे। इसी होटल में कांग्रेस के 21 विधायक हैं। पुलिस ने इसके बाद उन्हें एहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया और उन्हे बेंगलुरु के अमृताहल्ली पुलिस स्टेशन ले जाया गया। दिग्विजय पुलिस स्टेशन में भूख-हड़ताल पर बैठ गए। इसे लेकर भाजपा नेता कैलाश विजवर्गीय ने दिग्विजय पर तंज कसते हुए ट्वीट किया,'बेंगलुरु में नौटंकी !!! हमारा सौभाग्य है कि ये माननीय राजनीति में हैं। यदि बॉलीवुड में होते तो अमिताभ बच्चन जी को भी मात दे देते!'

विधायक ने दिग्विजय को टेलीफोन किया- डीके शिवकुमार

कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि दिग्विजय सिंह पार्टी के विधायकों से मिलने आए हैं।  एक विधायक ने टेलीफोन के माध्यम से उनसे संपर्क किया और यहां से बाहर निकालने का अनुरोध किया। पुलिस को उन्हें रोकने का कोई अधिकार नहीं है। वह उच्च अधिकारियों से अनुरोध करना चाहता है क्योंकि ये लोग सीएम के निर्देशों पर काम कर रहे हैं।

सचिन यादव और कांतिलाल भूरिया भी हिरासत में

दिग्विजय के साथ डीके शिवकुमार, सज्जन सिंह वर्मा और कांतिलाल भूरिया भी मौजूद हैं। कांग्रेस नेता सचिन यादव और कांतिलाल भूरिया को भी एहतियातन हिरासत में ले लिया गया। दिग्विजय ने कहा, 'हमें उनकी वापसी की उम्मीद थी। उनके परिवारों से संदेश आए ... मैंने व्यक्तिगत रूप से 5 विधायकों से बात की, उन्होंने कहा कि वे बंदी बना लिए गए हैं। उनके फोन छीन लिया गया है। हर कमरे के सामने पुलिस तैनात है। दिन-रात उनपर नजर रखी जा रही है।'

राज्य में भाजपा सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही- डीके शिवकुमार

डीके शिवकुमार ने कहा, 'राज्य में भाजपा सरकार सत्ता का दुरुपयोग कर रही है। हमारी अपनी राजनीतिक रणनीति है, हम जानते हैं कि स्थिति को कैसे संभालना है। वह यहां अकेला नहीं हैं। मैं यहां हूं। मुझे पता है कि उनका कैसे समर्थन करना है। लेकिन मैं कर्नाटक में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब नहीं करना चाहता।'

विधायकों के फोन छीन लिए गए हैं- दिग्विजय सिंह

बेंगलुरु पहुंचने पर दिग्विजय को एयरपोर्ट से लेने डीके शिवकुमार पहुंचे थे। दिग्विजय ने  कहा,  'मैं मध्य प्रदेश से राज्यसभा का उम्मीदवार हूं, 26 मार्च को चुनाव होना है। मेरे विधायकों को यहां रखा गया है, वे मुझसे बात करना चाहते हैं। उनके फोन छीन लिए गए हैं। विधायकों के सुरक्षा को खतरा बताकर पुलिस मुझे उनसे बात नहीं करने दे रही है।'

राज्यपाल लालजी टंडन ने एनपी प्रजापति को पत्र लिखा

इससे पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन ने बुधवार तड़के विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को एक पत्र भेजा। इसमें उन्होंने छह मंत्रियों के इस्तीफे को स्वीकार करने में 'निष्पक्ष और साहसी' निर्णय लेने की प्रशंसा की। गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद, सत्तारूढ़ दल के 22 विधायकों ने भी अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इसके बाद 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार संकट में आ गई। इनमें से छह विधायकों के इस्तीफे को स्पीकर ने स्वीकार कर लिए हैं।

मंगलवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ

मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन के दूसरी बार निर्देश के बाद भी मंगलवार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ। टंडन ने इससे पहले 16 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण के तुरंत बाद फ्लोर टेस्ट का निर्देश दिया था, लेकिन यह नहीं हुआ। इसी दिन शाम को उन्होंने मंगलवार को बहुमत परीक्षण का निर्देश दिया। इसके बाद भी फ्लोर टेस्ट नहीं हुआ। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मंगलवार को राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा कि फ्लोर टेस्ट कराना उनके अधिकार क्षेत्र का नहीं है। यह स्पीकर का काम है।

10 मार्च को सिंधिया ने दिया इस्तीफा

गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षित किए जाने के कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए। उनके साथ ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है। ये सभी 22 सिंधिया समर्थक विधायक एवं पूर्व विधायक बेंगलुरु में डेरा डाले हुए हैं।

विधानसभा अध्यक्ष द्वारा छह विधायकों के त्यागपत्र स्वीकार किए जाने के बाद 222 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर 108 रह गई है। इनमें वे 16 बागी विधायक भी शामिल हैं जिन्होंने इस्तीफा दे दिया है लेकिन उन्हें अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है। भाजपा के 107 सदस्य हैं।

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