मध्यप्रदेश में निजी स्कूल प्रबंधन अब बच्चों की फीस मनमाने ढंग से नहीं वसूल पाएंगे। स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी ने यह बात मध्यप्रदेश निजी विद्यालय (फीस तथा संबंधित विषयों का विनियमन) विधेयक-2017 को विधानसभा में प्रस्तुत करते हुए कही।
विधेयक के बारे में अधिक जानकारी देते हुए स्कूल शिक्षा राज्य मंत्री दीपक जोशी ने आउटलुक को बताया कि अक्सर उनके पास शिकायतें आती थी कि स्कूल अपने हिसाब से फीस वसूल रहे है।
अब प्राइवेट स्कूल प्रबंधन बच्चों की फीस मनमाने ढंग से नहीं बढ़ा सकेंगे। विधेयक के प्रभावशील होने पर फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन के लिए गठित जिला समिति नियमों के उल्लंघन के संबंध में किसी छात्र के माता-पिता या छात्र द्वारा की गई शिकायत की जांच कर सकेगी।
विधेयक के प्रभावशील होने पर पूर्णत: आवासीय तथा धार्मिक शिक्षा प्रदान करने वाले विद्यालयों को छोड़कर शेष सभी निजी विद्यालय इसके दायरे में आयेंगे। फीस में वृद्धि का विनियमन इस प्रकार किया जायेगा कि उस वर्ष के वार्षिक व्यय पर प्राप्तियों का आधिक्य, जिस वर्ष के लिए फीस प्रस्तावित है, वार्षिक प्राप्तियों का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। विधेयक के प्रमुख प्रावधान अनुसार विद्यालय प्रबंधन द्वारा पूर्ववर्ती वर्ष के लिए नियत फीस के 10 प्रतिशत की सीमा तक फीस वृद्धि की जा सकेगी किन्तु विद्यालय प्रबंधन द्वारा यदि पिछले वर्ष की फीस की तुलना में फीस में वृद्धि दस से पन्द्रह प्रतिशत प्रस्तावित हो तो ऐसे प्रस्ताव को विनिश्चित करने के लिए फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन के लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला समिति अधिकृत होगी। इसी प्रकार यदि पिछले वर्ष की फीस की तुलना में फीस में वृद्धि पन्द्रह प्रतिशत से अधिक प्रस्तावित हो तो ऐसे प्रस्ताव को विनिश्चित करने के लिए फीस तथा संबंधित विषयों के विनियमन के लिए आयुक्त लोक शिक्षण की अध्यक्षता में गठित राज्य समिति अधिकृत होगी।
विधेयक के माध्यम से निजी विद्यालयों से संबंधित अन्य विषय जैसे कि पाठ्य-पुस्तकें, लेखन सामग्री, वाचन सामग्री, स्कूल बैग, गणवेश, छात्रों के लिए परिवहन प्रदान करना और सभी ऐसे विषय जो छात्र या उसके माता-पिता या अभिभावक द्वारा प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से निजी विद्यालय को धनराशि देने का कारण बने, उक्त विषयों के बारे में आवश्यक प्रावधान किया गया है।