मध्यप्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वह विधानसभा की सदस्यता के बगैर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में छह महीने पहले शामिल हुए थे। सिलावट ने संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दिया है।
सिलावट ने 20 अक्तूबर की तिथि में लिखा अपना त्यागपत्र मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेज दिया है। इसमें उन्होंने 'स्वेच्छा' से मंत्री पद छोड़ने की बात का जिक्र किया है। सिलावट ने अनुरोध किया कि त्यागपत्र 20 अक्तूबर की अपरान्ह से स्वीकार कर लिया जाए।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने 21 अप्रैल को मंत्रिमंडल के गठन में जिन छह मंत्रियों को शपथ दिलवाई थी उसमें तुलसी सिलावट और गोविंद राजपूत दो ऐेसे लोग थे, जो उस समय विधायक नहीं थे। कांग्रेस छोड़कर भापजा में आने की वजह से उनकी सदस्यता चली गई थी।
नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति बिना विधायक हुए मंत्री सिर्फ 6 महीने तक बना रह सकता है। इस अवधि के पहले उसका विधायक बन जाना अनिवार्य है किन्तु अभी राज्य में उपचुनाव हुए नहीं है। इस वजह से तुलसी सिलावट ने इस्तीफा दे दिया है। इसी तरह प्रदेश के राजस्व और परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत भी इस्तीफा देने वाले है। ये दोनों ही लोग सिंधिया खेमे से मंत्री बनाये गये थे। राज्य में तीन नवंबर को चुनाव है और उसके बाद दस नवंबर को नतीजे आयेंगे। यदि नतीजों के बाद भाजपा सरकार बनी रहती है तो इन दोनों लोगों को फिर से मंत्री बनाया जाना तय माना जा रहा है।