भाजपा के समर्थन से बहुमत साबित करने की चाह लिए मांझी को उस समय झटका लगा जब पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने नीतीश कुमार के साथ-साथ मांझी को भी भ्रष्ट कह दिया। मांझी को जनता दल यूनाइटेड द्वारा निकाले जाने के बाद भाजपा नेता मांझी के समर्थन में खड़े थे। लेकिन अब स्थितियां बदल गई हैं। भले ही भाजपा नेता मांझी को समर्थन देने को लेकर स्थिति स्पष्ट न कर रहे हों लेकिन ऐसा लग रहा है कि राष्ट्रपति शासन की तैयारी की जा रही है।
संभावना यह जताई जा रही थी कि मांझी भारतीय जनता पार्टी में जा सकते हैं। लेकिन दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद भाजपा अब जोखिम लेने के मूड में नहीं है। ऐसे में मांझी के सामने नए राजनीतिक दल के गठन के अलावा कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा। बगावती तेवर अपनाने वाले मांझी को राजद सांसद पप्पू यादव का भी साथ मिल गया। सू़त्रों पर भरोसा करें तो पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हाथ मिलाने के बाद पप्पू यादव राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव से नाराज बताए जा रहे हैं। पप्पू यादव कहते हैं, ‘राजद प्रमुख लालू यादव हमेशा से दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यकों के हित की बात करते रहे हैं, अतः उन्हें मांझी का समर्थन करना चाहिए।’ पप्पू यादव के इस बयान के बाद से प्रदेश की सियासत में नए समीकरण की संभावनाए बनने लगी हैं। बीते कुछ समय से राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल यूनाइटेड के विलय की बात चल रही है। इससे राजद के कुछ नेता खुश नहीं बताए जा रहे हैं। वहीं जद यू के भी कई नेता इस समीकरण के पक्ष में नहीं है। अगर दोनों दलों के बीच विलय हुआ तो नाराज नेता नया समीकरण बनाने के लिए मांझी का साथ दे सकते हैं।