सिंगुर जमीन विवाद के संबंध में उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद आज पर्चा सौंपते हुए ममता ने कहा, हम उद्योग चाहते हैं, लेकिन जबरन जमीन अधिग्रहण के जरिये नहीं। ममता ने 2006 में टाटा के नैनो कारखाने के लिए भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा आंदोलन चलाया था। पर्चा एक ऐसा कागजात है जो राजस्व रिकॉर्ड में भूमि के किसी हिस्से पर किसी किसान का स्वामित्व स्थापित करता है। खुशी के माहौल में 9,117 किसानों को पर्चा और 806 किसानों को चेक वितरित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, आज मैं प्रसन्न हूं क्योंकि मैंने अपना वायदा पूरा किया। उन्होंने कहा, किसानों को हम यह सुनिश्चित करने के लिए दस-दस हजार रुपये भी देंगे कि उनकी भूमि कृषि योग्य बन सके। हमारी सरकार बीज और उर्वरक देने सहित किसानों की हरसंभव मदद करेगी। ममता ने यह भी कहा कि बटाईदारों को भी मुआवजे का हिस्सा मिलेगा।
इस अवसर पर ममता ने उद्योग जगत का राज्य में कारखाने लगाने के लिए आह्वान करते हुए कहा, हम आपको गोआल्तोर (मिदनापुर) में 1,000 एकड़ जमीन देंगे। यदि कोई भी चाहे टाटा हो या बीएमडब्ल्यू, वाहन उद्योग स्थापित करना चाहता है तो उनका स्वागत है। मुख्यमंत्री ने कहा, यदि आप उद्योग स्थापित करना चाहते हैं तो कृपया हमारे वित्तमंत्री अमित मित्रा या मुख्य सचिव से संपर्क करें। उन्होंने कहा, हमारे पास खड़गपुर, पानागढ़, तथा अन्य स्थानों पर जमीन है। हमें उद्योग स्थापित करने चाहिए और कृषि भूमि बचानी चाहिए। पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार की निंदा करते हुए ममता ने कहा, अंतर यह है कि हमारे पास भूमि बैंक, भूमि नक्शा और भूमि उपयोग की नीति है। टाटा सिंगूर में 1,000 एकड़ जमीन पर कारखाना वाम मोर्चा सरकार के अड़ियल रुख के चलते स्थापित नहीं कर सके।
जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ भूख हड़ताल और धरना करने वाली ममता ने आंदोलन के दिनों और उस दौरान उनकी मदद करने वाले लोगों को याद किया। उन्होंने कहा, मुझे आधी रात के समय पुलिस ने बीडीओ कार्यालय में पीटा था और मुझे गंभीर हालत में नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया था। मैं उन घटनाओं को कभी नहीं भूलूंगी। ममता ने कांग्रेस पर भी हमला बोलते हुए कहा, तब केंद्र में संप्रग सरकार थी। लेकिन किसी ने भी हमारा हालचाल जानने की जहमत नहीं उठाई। उच्चतम न्यायालय ने 31 अगस्त को व्यवस्था दी थी कि सिंगूर में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण थी और यह लोक उद्देश्य के लिए नहीं थी। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह 12 सप्ताह के भीतर किसानों की जमीन लौटा दे।