तृणमूल कांग्रेस के सांसद और पार्टी की युवा शाखा के अध्यक्ष अभिषेक बनर्जी आज सिंगूर के निकट एनएच-2 पर एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। अभिषेक पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे हैं।
टाटा मोटर्स को बंगाल के गोआलतोड़ में मोटर कारखाना लगाने के लिए आधिकारिक तौर पर प्रस्ताव भेजने की तैयारी कर रही है ममता बनर्जी की सरकार। इस बारे में टाटा मोटर्स के आला अधिकारियों को अवगत कराया दिया गया है। बंगाल के वित्त एवं उद्योग मंत्री अमित मित्रा के अनुसार, टाटा की ओर से सकारात्मक संकेत मिले हैं। लेकिन सूत्रों के अनुसार, टाटा समूह के अधिकारियों ने एक और मसला उठा दिया है। गोआलतोड़ प्रोजेक्ट को लेकर आगे बढ़ने के पहले टाटा घराना चाहता है कि सिंगूर के मुआवजे के तौर पर कम से कम 154 करोड़ रुपए वापस किए जाएं। टाटा समूह ने वहां की जमीन अलॉट होने के समय राज्य सरकार को यह रकम चुकाई थी। वाममोर्चा की तत्कालीन सरकार ने वहां नैनो कार प्रोजेक्ट लगाने के लिए टाटा समूह को जमीन अलॉट की थी।
ममता बनर्जी लंबे राजनीतिक अनुभव से बहुत व्यावहारिक होती जा रही है। केजरीवाल की तरह वह सत्ता में रहकर भी हड़ताली आंदोलनकर्ता नहीं रह सकती। इसीलिए बंगाल में सिंगूर के किसानों के लिए संघर्ष की पृष्ठभूमि के बावजूद उन्होंने किसानों को खेती की जमीन लौटाने के साथ टाटा ग्रुप या अन्य उद्योगपतियों को प्रदेश में बड़े उद्योग लगाने के लिए समुचित जमीन और सुविधाएं देने की पहल की है। ममता जबरन जमीन के अधिग्रहण करके उद्योग लगाने की प्रवृत्ति को अनुचित मानती है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को सिंगूर में किसानों को जमीनों के पर्चा नामक कागजात और चेक सौंपे और कंपनियों को यह संदेश भेजा कि राज्य में वाहन उद्योग स्थापित करने की इच्छा रखने वाली किसी भी कंपनी का स्वागत है।
सिंगूर में टाटा समूह के द्वारा कार कारखाना लगाने के लिए किसानों से जमीन अधिग्रहण को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध ठहरा दिया है। अदालत ने बंगाल सरकार को निर्देश दिया है कि वह सिंगूर की जमीन को अपने कब्जे में ले और किसानों को 12 हफ्तों के भीतर वापस कर दे।
दीर्घ 10 साल लग गए सिंगूर पर अदालत का अंतिम फैसला आने में। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ममता बनर्जी ने ऐतिहासिक बताया है। जस्टिस गोपाल गौड़ा और जस्टिस अरुण मिश्र की डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में निर्देश दिया कि वहां के किसानों को 12 सप्ताह के भीतर जमीन लौटाई जाए। 10 सप्ताह के भीतर वहां की स्थिति की समीक्षा कर राज्य सरकार अदालत में रिपोर्ट दाखिल करे। वहां के जिन किसानों ने मुआवजा ले लिया था, उनसे मुआवजे की रकम वापस नहीं ली जा सकेगी। जिन किसानों ने मुआवजा नहीं लिया था, उन्हें जमीन लौटाने के साथ ही आज के बाजार दर पर मुआवजा भी दिया जाएगा। क्योंकि, 10 साल तक वे जमीन का इस्तेमाल नहीं कर सके। साथ ही वे मालिकाना से भी वंचित रहे।