क्योंकि विपक्षी भाजपा के विधायक सदन से वाक आउट कर गये थे। नीतीश कुमार के भाषण के बाद स्पीकर ने ध्वनिमत से विश्वासमत प्रस्ताव को पारित कराने का प्रयास किया। लेकिन सत्तापक्ष की ओर से मांग की गयी कि लॉबी डिवीजन के जरिये विश्वासमत प्रस्ताव का निर्णय हो, ताकि जनता किसी दुविधा में न रहे।
बिहार विधानसभा में अपने अभिभाषण में नीतीश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री का पद छोडऩे के बाद चारों ओर मेरे इस निर्णय का विरोध हो रहा था। मैं जहां भी गया, लोगों ने कहा कि आपने गलत फैसला किया है, तो मुझे अपनी भूल का अहसास हुआ और पार्टी ने मुझे दोबारा मुख्यमंत्री पद स्वीकार करने का आदेश दिया, जिसका मैंने पालन किया। उन्होंने कहा कि झारखंड में भी भाजपा ने सत्ता के लिए बाबूलाल मरांडी की पार्टी को तोड़ा और बहुमत प्राप्त किया।
उन्होंने कहा कि भाजपा जब आडवाणी , मुरली मनोहर और श्यामा प्रसाद की नहीं हुई, तो वह किसी की क्या होगी। भाजपा सिर्फ सत्ता की है, वह हर फैसला सत्ता के लिए करती है। नीतीश कुमार ने कहा कि आज भाजपा हमारे विरोध में खड़ी है, कभी वह हमारे साथ थी और हमारे पक्ष में भाषण देती थी। इसलिए उसे कोई अधिकार नहीं है कि वह जदयू और राजद गंठबंधन पर टिप्पणी करे और पुराने बयानों का हवाला दे। नीतीश कुमार ने भाजपा पर यह आरोप लगाया कि जनता को धोखा देने वाली पार्टी है।