झारखंड में दुमका उप चुनाव के लिए प्रचार खत्म होने के बाद रविवार की रात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाले की जांच का एलान किया। व्यापक तरीके से जांच हुई तो इसकी जद में बड़ी संख्या में लोग आयेंगे। अधिकारी, स्कूल प्रबंधन, बैंक करसपोंडेंट, दलाल से लेकर लाभ उठाने वाले। घोटाला पशुपालन घोटाला की तरह कोषागार से सीधे तौर पर फर्जी निकासी जैसा नहीं है। बड़ी संख्या में ऐसे मामले हैं जिसमें सीधे तौर पर गैर वाजिब लोगों को लोभ देकर उन्हें छात्रवृत्ति का हकदार बना दिया।
हैरत की बात यह भी कि बड़ी आबादी को इससे जोड़ा गया, बैंक एकाउंट, आधार, अंगूठे का निशान लिया गया मगर इसकी भनक सरकार को नहीं लगी। यह सिर्फ फाइलों में सिमटा हुआ घोटाला नहीं है। बीच-बीच में यहां अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले की खबरें छपती रहीं मगर उसे गंभीरता से नहीं लिया गया जिस गंभीरता से लिया जाना चाहिए था। दिल्ली के एक अंग्रेजी अखबार ने विस्तृत काम कर रिपोर्ट प्रकाशित किया तो लोगों की नींद टूटी। उसी खबर का संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच की घोषणा की। दुमका में उप चुनाव तीन नवंबर को है और वहां से रघुवर सरकार में कल्याण मंत्री रहीं लुईस मरांडी चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में हेमंत सोरेन के लिए इस मुद्दे को पकड़ना माकूल मौका भी लगा। लुईस मरांडी सहित पूर्व की रघुवर सरकार को घेरने का अवसर मिला। मुख्यमंत्री ने कहा कि मुख्य सचिव के संज्ञान में मामला आया है। विस्तृत जांच के बाद ही पता चलेगा कि कितने का घोटाला हुआ है।
अलग-अलग तरीका
स्कूलों में छात्रों की संख्या अधिक बताकर उनके नाम पर छात्रवृत्ति की राशि की निकासी की जाती रही। उम्रदराज लोगों या जिन लोगों ने स्कूल का चेहरा भी नहीं देखा से बैंक खाता, आधार की जानकारी और अंगूठे का निशान लेकर उन्हें छात्र बना छात्रवृत्ति घोटाला किया जाता रहा। अनेक लोगों से कहा गया कि सउदी अरब से मदद आने वाली है। शर्त यह होता कि आने वाली राशि में 50 फीसद कमीशन दलाल का होता था। कुछ से सिर्फ आधार की कॉपी और अंगूठे का निशान लेकर फर्जीवाड़ा होता था और संबंधित व्यक्ति को जानकारी तक नहीं रहती थी। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार धनबाद के बरवाअड्डा के संतजेवियर मिशन स्कूल के आइडी व पासवर्ड के लिए जो मोबाइल नंबर दिया गया था उसे ही बदल दिया गया। स्कूल ने छह बच्चों के लिए छात्रवृत्ति मांगी थी मगर जिला कल्याण कार्यालय ने 341 बच्चों के नाम छात्रवृत्ति स्वीकृत कर दिया। प्राचार्य की शिकायत के बावजूद अपेक्षित कार्रवाई नहीं हुई।
पहले भी सामने आया था घोटाला
दो वर्ष पूर्व चतरा में भी छात्रवृत्ति घोटाले का मामला सामने आया था तब कल्याण विभाग से संबद्ध स्कूलों में प्रति विद्यालय 400 छात्रों के नाम पर पहले ही चेक काटकर बंदरबांट कर लिया गया था। उपायुक्त के संज्ञान में मामला आया जांच हुई तो पता चला कि प्रखंड कल्याण अधिकारी के खाते में 1.10 करोड़ और दो एनजीओ के खाते में 22 लाख और 1.89 करोड़ की राशि जमा कराई गई थी। कुल नौ करोड़ के इस घोटाले में दो नाजिर और दो तत्कालीन जिला कल्याण अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ। आमया संगठन के अध्यक्ष रहे एस अली ने मदरसा सहित शैक्षणिक संस्थानों आदि की मदद से छात्रवृत्ति घोटाले का आरोप लगाते हुए पूर्व में कहा था कि वे 2013-14 से ही सरकार से इसकी शिकायत कर रहे हैं मगर किसी ने संज्ञान नहीं लिया। झारखंड ट्राइवल कोआपरेटिव डेवलपमेंट कारपोरेशन के माध्यम से 2007 से 2013 तक राज्य के अल्पसंख्यकों के बीच छात्रवृत्ति की राशि वितरित की जाती थी अब अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम के माध्यम से की जाती है। घोटाले को दबाने के लिए उपयोगिता प्रमाण पत्र तक नहीं दिया गया। इसकी जांच के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कल्याण सचिव और अल्पसंयक आयोग को भी पत्र लिखा था मगर कोई कार्रवाई नहीं हुई।