उत्तर प्रदेश के मथुरा में सरकार और कानून को ताक पर रख मौत के तांडव की साजिश रचने वाला रामवृक्ष यादव पहले बाबा जय गुरुदेव का शिष्य था। जय गुरुदेव की दूरदर्शी पार्टी की ओर से इसने 90 के दशक में गाजीपुर से ही लोकसभा और विधानसभा का चुनाव भी लड़ा था। जय गुरुदेव के अन्य अनुयायियों की तरह रामवृक्ष भी पहले टाट पहना करता था लेकिन अनुशासनहीनता और अन्य आरोपों के बाद बाबा जय गुरुदेव ने इसके टाट पहनने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद से वह सफेद धोती-कुर्ता पहनने लगा। गुरू की विरासत हासिल करने का ख्वाब पाले रामवृक्ष को जब कामयाबी मिलती नहीं दिखी तो वह उनसे अलग हो गया। बताया जाता है कि करीब 2 साल पहले उसने अपने साथियों के साथ अपने ही गुरु के आश्रम पर हमले की साजिश भी रची थी। गाजीपुर के मरदह स्थित रायपुर बाघपुर गांव निवासी रामवृक्ष के परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे और दो बेटियां हैं। उसके एक बेटे और एक बेटी की शादी हो चुकी है।उसके बारे में गांव के लोगों का कहना है कि उग्र स्वभाव के रामवृक्ष केसाथ हमेशा कुछ हथियारबंद लोग रहा करते थे।
सत्याग्रह के नाम पर मध्यप्रदेश के सागर से मथुरा आए रामवृक्ष और उसके साथियों ने करीब दो साल से जवाहरबाग में 280 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा था। मथुरा से पहले ये सत्याग्रही बरेली पहुंचे थे जहां से उन्हें बाहर कर दिया गया था। रामवृक्ष ने भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही नाम से संस्था बना रखी थी। बताया जाता है कि यह संस्था इलाके में गुंडागर्दी, अवैध कब्जे में संलिप्त रही है। जवाहर बाग सरकारी जमीन है जो कि उद्यान विभाग के अधिकार क्षेत्र में आती है। कब्जे के खिलाफ एक याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के जल्द से जल्द जमीन खाली कराने के निर्देश पर ही पुलिस कल वहां कब्जा हटाने गई थी, जहां सत्याग्रहियों ने पुलिस बल पर हमला कर दिया। जिसमें दो पुलिस अधिकारियों सहित करीब 24 लोगों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि रामवृक्ष पर 15 लोगों पर जानलेवा हमले का आरोप है। इसके अलावा उस पर हत्या की कोशिश और अवैध कब्जे के 8 मामलों सहित कुल 12 मामले दर्ज हैं।
रामवृक्ष की आजाद भारत विधिक वैचारिक सत्याग्रही संस्था की कई मांगे हैं। जिनमें कई अजीबो-गरीब कही जाएंगी। संस्था की मांग है कि भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का चुनाव रद्द होना चाहिए। वर्तमान में देश में प्रचलित मुद्रा की जगह आजाद हिंद फौज करेंसी शुरू की जाए। सत्याग्रही संस्था की मांग है कि 1 रुपये में 60 लीटर डीजल और 1 रुपये में 40 लीटर पेट्रोल मिलनी चाहिए। इनकी मांग है कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गैर-भारतीय घोषित किया जाए। संस्था के लोग अपने आपको सुभाष चन्द्र बोस का अनुयायी बताते हैं और इस नाते खुद के लिए सेनानी का दर्जा चाहते हैं। संस्था के लोगों की पेंशन के साथ ही जवाहर बाग में स्थायी निवास की भी मांग है।