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झारखंड: जनगणना कॉलम में आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर राज्‍यपाल को ज्ञापन

अगली जनगणना के दौरान जनगणना फार्म के कॉलम में अलग आदिवासी-सरना धर्म कोड शामिल शामिल करने की मांग को...
झारखंड: जनगणना कॉलम में आदिवासी धर्म कोड की मांग को लेकर राज्‍यपाल को ज्ञापन

अगली जनगणना के दौरान जनगणना फार्म के कॉलम में अलग आदिवासी-सरना धर्म कोड शामिल शामिल करने की मांग को लेकर मंगलवार को आदिवासी संगठनों ने रांची में मानव श्रृंखला का निर्माण किया।  प्रदर्शन का नेतृत्‍व करने वाली आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्‍यक्ष, पूर्व शिक्षा मंत्री, गीताश्री उरांव ने राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर राष्‍ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। 2021 की जनगणना में आदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड कॉलम का प्रावधान किये जाने की मांग की।

सुबह से ही ग्रामीण इलाकों से जत्‍थों में प्रदर्शनकारियों का आना शुरू हो गया था। कुछ इलाकों में मोटरसाइकिल से भी आदिवासी निकले। बड़ी संख्‍या में आदिवासी महिलाएं पारंपरिक लाल पाड़ की सफेद साड़ी में थीं। एक तीर एक कमान सब आदिवासी एक समान, आदिवासी-सरना धर्म कोड नहीं तो वोट नहीं, आदिवासी सरना कोड अविलंब लागू करो, नारे लिखे तख्तियां लहराती रहीं। जनगणना के फार्म में आदिवासियों के लिए अलग कॉलम नहीं होने का आदिवासी विरोध कर रहे हैं। मजबूरी में हिंदू, ईसाई या दूसरे कॉलम में दर्ज कराना पड़ता है।

प्रदर्शनकारियों की शिकायत यह भी थी कि इससे उनके आरक्षण का कोटा भी प्रभावित होता है। धर्म बदल चुके लोग उनके कोटे के आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं। अलग धर्म कोड को अपनी पहचान की लड़ाई बता रहे हैं। अनेक आदिवासी संगठन के लोग रांची के मोरहाबादी मैदान में जुटे, वहां सभा की। सरना धर्म गुरू बंधन तिग्‍गा, शिक्षाविद करमा उरांव, आदिवासी सेना के शिवा कच्‍छप आदि ने यहां सभा को संबोधित किया।

झारखंड विधानसभा के शीत कालीन सत्र के दौरान सदन का घेराव और संसद मार्च की घोषणा की। अलग धर्म कोड नहीं तो वोट नहीं का नारा दिया। सेंगल अभियान, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी छात्र संघ, राजी पहड़ा सरना समिति, केंद्रीय सरना समिति सहित विभिन्‍न आदिवासी संगठनों को प्रदर्शन को समर्थन था। देश में 1871 में प्रथम जनगणना में समय से अदिवासियों के लिए अलग धर्म कोड का कॉलम था। यह सिलसिला 1951 की जनगणना तक चला। 1961 की जनगणना में इस कॉलम को हटा दिया गया था। उसके बाद से इसकी मांग उठती रही। हाल में यह मांग ज्‍यादा तीव्र हो गई है। मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन भी विधानसभा के शीत कालीन सत्र के पूर्व प्रस्‍ताव तैयार कर केंद्र को भेजने का वादा कर चुके हैं।

 

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