कृषि संबंधी केंद्रीय कानूनों का विरोध करने और अनाज के समर्थन मूल्य खत्म किये जाने की आशंका जाहिर करने वाली झारखंड सरकार सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी) तय करेगी। मकसद यहां के सब्जी उत्पादकों को राहत दिलाना है। सब्जी उत्पादन के मौसम में खास सब्जी की अधिक खेती होने पर किसानों को गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है। बाजार में ज्यादा माल आ जाने से टमाटर, गोभी, बंदा गोभी जैसी सब्जियों को खेत में ही सड़ने को छोड़ दिया जाता है या सड़क किनारे फेक दिया जाता है। दरअसल कीमत इतनी कम हो जाती है कि खेत से मंडी तक पहुंचाने पर भाड़ा भी नहीं निकल पाता। अभी कोरोना के लॉक डाउन में जब गाड़ियों का परिचालन बंद था। बड़े शहरों में सब्जियों की कीमत आसमान छू रही थी तो सब्जी उत्पादन वाले इलाकों, छोटे कसबों में कोई पूछने वाला नहीं था। इसी अवधि में आलू-प्याज जैसी चंद सब्जियों की होम डिलिवरी भी रांची में शुरू हुई।
कमेटी की अनुशंसा पर होगा तय
बहरहाल केरल द्वारा एमएसपी तय किये जाने के बाद झारखंड सरकार ने भी पहल शुरू की है। इसके लिए विशेषज्ञ कमेटी गठित की जा रही है। यह कमेटी केरल व दूसरे प्रदेशों के हालात, प्रस्ताव, कार्य योजना का अध्ययन कर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। कितने तरह की सब्जियों की कीमत तय होगी और एमसपी क्या होगा यह कमेटी की अनुशंसा के बाद तय होगा।
मंत्री को गया कमेटी के गठन का प्रस्ताव
कृषि एवं पशुपालन सचिव अबु बकर सिद्दीकी ने आउटलुक को बताया कि सरकार सब्जियों का एमएसपी तय करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। कमेटी के गठन का प्रस्ताव उन्होंने कृषि मंत्री को भेज दिया है। कमेटी में कृषि निदेशक, निदेशक बागवानी, बिरसा कृषि विवि, आइसीएर प्लांडू, परामर्शी विशेष सचिव आदि रहेंगे। उनका मानना है कि सब्जियों की एमएसपी तय होने से सब्जी उत्पादकों को राहत मिलेगी। उत्पाद को औने-पौने बेचने की नौबत नहीं आयेगी। कृषि सचिव सिद्दीकी का कहना है कि सब्जियों का उत्पादन मौसम आधारित है। दूसरे अनाज की तरह व्यवहार नहीं कर सकते। कौन सी सब्जी का कितने दिन तक स्टोरेज कर सकते हैं, कितने दिनों के भीतर डिस्पोजल कर देना होगा इस पर बारीकी से गौर करना होग। कृषि विभाग के एक वरीय अधिकारी ने कहा कि एमएसपी लागू करने के पहले व्यापक तैयारी की जरूरत होगी। भंडारण, कोल्ड स्टोरेज की उपलब्ध्ता सुनिश्चित करनी होगी। क्रय एजेंसी का भी निर्धारण करना होगा। इन मुद्दों के आकलन और इंतजाम के बाद ही सब्जियों की एमएसपी व्यावहारिक रूप से तय की जा सकेगी।
रांची से बाहर जाती हैं सब्जियां
झारखंड सब्जी का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है। रांची से ही शिमला मिर्च, फ्रेंचबीन, खीरा, कद्दू, फूलगोभी, टमाटर आदि बंगाल, आंध्रप्रदेश, बिहार, सीमावर्ती यूपी, एमपी भेजी जाती है। विमान से भी महानगरों में सब्जी पहुंचाने की पहल शुरू हुई है।