उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के सरकारी प्राइमरी स्कूल शर्मनाक घटना का गवाह बना। इस स्कूल में मिड डे मील योजना के अंतर्गत बच्चों को नमक के साथ रोटी खाने को दी गई। सोशल मीडिया पर आए इस वीडियो में स्कूल के गलियारे के फर्श पर बैठे बच्चे, अपनी प्लेटों में थोड़े से नमक के साथ रोटियां खाते हुए दिख रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार राज्य भर में 1.5 लाख से अधिक प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन उपलब्ध करा रही है।
रोज नहीं मिलता अच्छा खाना
सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले एक छात्र के पिता ने कहा कि बच्चों को ज्यादातर या तो नमक रोटी दी जाती है या नमक चावल। बहुत कम बार बच्चों को दूध दिया जाता है और पूरा खाना केवल तभी दिया जाता है जब कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति दौरे पर आता है। जबकि राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण की वेबसाइट के अनुसार, राज्य में मिड डे मील के लिए सरकार द्वारा संचालित प्राथमिक विद्यालय एक विस्तृत मेन्यू की सूची देते हैं जिसे बच्चों को परोसा जाना चाहिए। इसमें अलग-अलग प्रकार की दालें, चावल, रोटी और सब्जी शामिल है। इसमें मील चार्ट के अनुसार निश्चित दिनों में फल और दूध भी शामिल है।
जांच में सही पाया गया मामला
जिला न्यायाधीश अनुराग पटेल का कहना है कि उन्होंने इस घटना की जांच कराई है और इसे सही पाया। उनका कहना है कि शुरुआती जांच में स्कूल की इंचार्ज और ग्राम पंचायत की सुपरवाइजर की गलती सामने आई है और दोनों को सस्पेंड कर दिया गया है।उत्तर प्रदेश सरकार के प्रवक्ता का कहना है कि सरकार राज्य भर में 1.5 लाख से अधिक प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन उपलब्ध करा रही है। और अभी 1 करोड़ से अधिक बच्चों को इस योजना का लाभ दिए जाने की योजना है।
बच्चों को पोषण देने के लिए है योजना
केंद्र सरकार के अनुसार, मध्याह्न भोजन योजना प्रति दिन प्रति बच्चे को न्यूनतम 450 कैलोरी प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें रोज कम से कम 12 ग्राम प्रोटीन भी शामिल होना चाहिए। ये भोजन प्रत्येक बच्चे को, वर्ष में कम से कम, 200 दिन परोसा जाना चाहिए।