एक शख्स हैं हाजी मेहरूद्दीन। पिछले करीब 15 साल से प्रतिदिन करीब 4 बोरियां रोटी इकट्ठा कर वह शाम को कई गायों को खिलाते आ रहे हैं। बढ़ती उम्र के बावजूद हाजी मेहरुद्दीन ने पूरे शहर से रोटी इकट्ठा कर गायों को खिलाने का सिलसिला जारी रखा है। उनका कहना है, ऐसा कर उन्हें सुकून मिलता है। नमाज के पाबंद हाजी मेहरुद्दीन का कहना है कि कोई भी धर्म हिंसा का नहीं बल्कि शांति, एकता, विश्वास और भाईचारे का संदेश देता है। वह कहते हैं, सद्भावना से बड़ा कोई धर्म नहीं है।
मेहरूद्दीन ने बताया कि वह रोज सुबह से दोपहर तक अलग-अलग मोहल्लों के घरों से गाय के लिए रोटी इकट्ठा करते हैं। घर में बची हुई रोटियां महिलाएं मुझे देती हैं। इसके लिए रोज लोग मेरा इंतजार करते हैं। रोज करीब 4 बोरियां रोटी इकट्ठा होती हैं जो मैं गौशाला में गायों को खिलाता हूं। उन्होंने बताया पूरे दिन में शहर घूमना मुश्किल होता हैं इसलिए मैंने शहर को अलग-अलग भागों में बांट रखा हैं। हर मोहल्ले में दो दिन में एक बार जाता हूं। मेहरूद्दीन के अनुसार, यह धारणा गलत है कि मुसलमान गाय की सेवा नहीं कर सकते। हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए गाय का स्थान बराबर है। उन्होंने कहा कि गाय के नाम पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए।
एक गृहणी रामकंवर देवड़ा ने बताया शहर के लोग मेहरूद्दीन को बहुत प्रेम और सम्मान देते हैं। सुबह से ही उनकी ठेला गाड़ी का इंतजार रहता है। हाजी मेहरुद्दीन का गौ सेवा का जज़्बा कभी कम नहीं होता चाहे कोई भी मौसम हो। गौशाला संचालक राणू सिंह राज पुरोहित ने बताया मेहरूद्दीन 15 साल से हमारी गौशाला से जुड़े हैं और इकट्ठी की गई रोटियां अपने हाथों से गायों को खिलाते हैं।