हालांकि, अभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है लेकिन माना जा रहा है रिपोर्ट में कई स्थानीय नेताओं और सरकारी अफसरों को इन दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। मिली जानकारी के अनुसार, इस रिपोर्ट में मुजफ्फरनगर दंगों के लिए समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ-साथ कई पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका का पता चलेगा। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिपोर्ट में कई पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं जिनकी लापरवाही और अक्षमता की वजह से स्थिति बेकाबू हुई।
राजभवन के प्रवक्ता ने बताया कि राज्यपाल इस जांच रिपोर्ट का अध्ययन करेंगे और रिपोर्ट को कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को भेजेंगे। जांच आयोग ने मुजफ्फरनगर दंगों के कारणों का पता लगाने के लिए दो साल के दौरान आयोग ने 476 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए और करीब 100 अधिकारियों से पूछताछ की गई। कुल 775 पन्नों की इस रिपोर्ट को 6 अध्याय में बांटा गया है।
गौरतलब है कि अगस्त 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों में करीब 60 लोग मारे गए थे और 50 हजार लोगों को कई महीनों तक घर छोड़ने को मजबूर होना पड़ा था। जिले के कवाल गांव में छेड़छाड़ को लेकर दो समुदायों के बीच हुए हिंसक टकराव ने दंगों को रूप ले लिया था और पश्चिमी यूपी के कई जिले हिंसक झड़पों की चपेट में आ गए थे। दंगे की न्यायिक जांच के लिए यूपी सरकार ने हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस विष्णु सहाय की अध्यक्षता में एक सदस्य जांच आयोग का गठन किया गया था। समूचे प्रकरण की जांच कर दो महीने के अंदर रिपोर्ट दी जानी थी, लेकिन कई बार जांच आयोग का कार्यकाल बढ़ाया गया।