मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश ने एक याचिका की सुनवाई के दौरान यह आदेश जारी किया जिसमें स्कूलों में राष्ट्रगान को अनिवार्य बनाने की मांग की गई थी। पूर्व सैनिक एन सेल्वातिरुमल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने कहा, ‘निजी स्कूलों को अपने कार्यक्रम में राष्ट्रगान को शामिल करने का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए।’
खंडपीठ ने केंद्र और राज्य सरकारों और केंद्रीय मानव संसाधन के सभी माध्यमिक शिक्षा संस्थानों को आदेश जारी किया है कि वे निगाह रखें कि राज्य के सभी निजी स्कूलों में राष्ट्रगान गाया जा रहा है या नहीं।
सेल्वातिरुमल ने अपनी याचिका में कहा कि तमिलनाडु के सभी निजी स्कूलों में राष्ट्रगान नहीं गाया जा रहा है और सुबह की सभा के दौरान इसका पालन सिर्फ केंद्रीय विद्यालयों तथा राज्य के सरकारी स्कूलों में ही किया जा रहा है। याचिकाकर्ता का कहना था कि देश के प्रत्येक नागरिक को राष्ट्रगान और राष्ट्रीय झंडे की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने याचिका में कहा, ‘एक आरटीआई के जवाब में मुझे बताया गया कि भारत सरकार ने सभी स्कूलों को निर्देश जारी किया गया है कि स्कूलों का काम सामूहिक रूप से राष्ट्रगान के बाद ही किया जाए और राष्ट्रगान को लोकप्रिय बनाने तथा राष्ट्रीय झंडे का सम्मान करने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाएं।’