राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मीडिया में आ रही खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट मांगी है। खबरों में कहा गया था कि दुर्घटना के बाद 22 वर्षीय विकास सोनिया सड़क किनारे 45 मिनट तक पड़ा रहा। उस दौरान उसका खून लगातार बहता रहा। एक मार्च को हुए इस घटनाक्रम में पुलिसकर्मियों ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का काफिला गुजरने तक युवक को रोके रखा था। अस्पताल के मेडिकल रेकार्ड के अनुसार, पीड़ित को जब अस्पताल में भर्ती कराया गया तो 20 मिनट तक उसपर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
मध्यप्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर इस मामले में दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट तलब करते हुए आयोग ने कहा, यदि अखबार की खबर के तथ्य सही हैं, तो यह युवक के जीवन के अधिकार का उल्लंघन, पुलिसकर्मियों द्वारा असंवेदनशीलता और चिकित्सकीय लापरवाही का गंभीर मामला है। भोपाल में विधानसभा के सामने एक बस ने विकास को टक्कर मार दिया था। आरोप लगाया जा रहा है कि विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री का काफिला वहां से गुजरने वाला था और सुरक्षा में जुटे पुलिसकर्मियों ने विकास को सिर्फ सड़क के बीच से उठाकर किनारे फुटपाथ पर डाल दिया।
आयोग ने एक बयान में कहा है कि युवक दर्द से कराह रहा था, लेकिन पुलिसकर्मी और राहगीर उसे देखते रहे। बाद में उसे एंबुलेंस से जेपी अस्पताल ले जाया गया। 20 मिनट तक किसी डॉक्टर ने उसका इलाज नहीं किया। बाद में उसे नर्मदा ट्रॉमा केन्द्र ले जाया गया, जहां सिर में गंभीर चोट के कारण दो घंटे बाद उसकी मौत हो गई।