राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भाजपा शासित मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर इस संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। आयोग ने शेओपुर जिले में कुपोषण संबंधी बीमारियों के कारण 116 बच्चों की मौत पर मीडिया की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेकर यह नोटिस जारी किया। मानवाधिकार आयोग ने आज एक बयान में कहा, मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी ने कथित तौर पर उन तथ्यों को स्वीकार कर लिया है। जिले में तीन पोषण पुनर्वास केंद्र में भारी भीड़ है और वहां डॉक्टरों के साथ-साथ सुविधाओं की भी कमी है। आयोग ने कहा कि मीडिया में आईं खबरें विक्षुब्ध कर रही हैं और यह एक चिंता का विषय है क्योंकि यह कुपोषण के कारण बच्चों के मानवाधिकार का उल्लंघन है और राज्य द्वारा स्वास्थ्य सेवा की कमी को दर्शाता है।
आयोग ने यह भी उल्लेख किया है कि उसने हर उचित मंच पर इस बात पर जोर दिया है कि स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों दोनों को पूरक पोषण प्रदान करने वाले आईसीडीएस सहित सरकारी योजनाओं को उचित तरीके से लागू किया जाए। आयोग ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि बच्चे पौष्टिक और संतुलित आहार से वंचित नहीं हों। भोजन का अधिकार और स्वास्थ्य का अधिकार अन्य मानवाधिकारों के इस्तेमाल के लिए अपरिहार्य है। राज्य को विशेषकर शिशुओं और बच्चों सहित सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य की रक्षा करना और बनाए रखना है। आयोग ने आगे कहा कि खबरों के अनुसार बिस्तरों की कमी के कारण बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्रों के फर्श पर सोने के लिए विवश होना पड़ रहा है जो अमानवीय है।