इसके अलावा सरकार के विभिन्न विभागों में ठेके पर काम कर रहे लोगों के लिए भी कई घोषणाएं की हैं। पिछड़ी जातियों को लुभाने के लिए भी कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ी गई है।
बिहार विधानमंडल के दोनों सदनों को राज्य सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों से बुधवार को अवगत कराने के बाद विधानमंडल परिसर में पत्रकारों को नीतीश ने बताया कि मंत्रिपरिषद की बैठक में राज्य सरकार ने कई नीति मूलक जनकल्याणकारी निर्णय लिए हैं जिनके द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों के सामाजिक. शैक्षणिक एवं आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 31 जनवरी, 2011 को सेवानिवृत्त न्यायाधीश नरेश चन्द्र त्रिवेदी की अध्यक्षता में राज्य की उच्च जातियों में शैक्षणिक एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के सर्वेक्षण के लिए एक आयोग का गठन किया था। आयोग की सिफारिशों के आधार पर राज्य की उच्च जातियों से आने वाले ऐसे छात्रों जिनकी पारिवारिक आय एक लाख पचास हजार रुपये या उससे कम हो और जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा आयोजित मैट्रिक परीक्षा में प्रथम श्रेणी में पास हुए हों, उन्हें मुख्यमंत्री विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दस हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। नीतीश ने कहा कि उच्च जातियों के कक्षा एक से कक्षा दस तक के छात्र जिनकी पारिवारिक आय एक लाख पचास हजार रुपये या उससे कम हो उन्हें छात्रवृत्ति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि आयोग की अन्य अनुशंसाओं पर सभी संबंधित विभागों से विचारोपरांत प्रस्ताव तैयार करने के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। नीतीश ने कहा कि उच्च जातियों के छात्रों को मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना एवं कक्षा 1 से कक्षा 10 तक के छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान करने के संबंध में लिए गए उक्त निर्णय के आलोक में योजनाओं की स्वीकृति भी दे दी गई है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पिछड़ा वर्ग मेधावृत्ति योजना के अंतर्गत पिछड़ा वर्ग (अनुसूची 2) के छात्रा-छात्राओं, जिनकी पारिवारिक आय एक लाख पचास हजार रुपये या उससे कम हो, को भी निर्धारित दर पर लाभान्वित करने का निर्णय लिया है। नीतीश ने बताया कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में ठेके पर बहाल कर्मियों की सेवा नियमितिकरण की मांग लगातार उठती रही है। सरकार ऐसे कर्मियों के नियमितिकरण के मामले के सभी पहलुओं की जांचकर इस संबंध में अनुशंसा करने के लिए राज्य सरकार ने एक उच्चस्तरीय समिति के गठन का निर्णय लिया है। यह समिति अपनी अनुशंसा तीन माह के भीतर राज्य सरकार को देगी।
उन्होंने कहा कि बिहार पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम, 1991 की अत्यंत पिछडे वर्ग की सूची में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव सरकार के विचाराधीन था। राज्य सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए राज्य आयोग से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर पिछड़े वर्गों की सूची से तेली जाति को विलोपित कर अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची में शामिल किया है। इसके अलावा पिछड़े वर्गों की सूची में दर्ज तमोली एवं बढ़ई जाति को विलोपित कर अत्यंत पिछड़े वर्गों की सूची में स्वतंत्र रूप से बढ़ई, तमोली (चौरसिया) जाति को शामिल किया गया।