जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादी हमले में मारे गए पुणे के एक व्यवसायी की बेटी ने दावा किया है कि आतंकवादियों ने विशेष रूप से पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया और उनसे उनका धर्म पूछा।
अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र के पुणे के दो व्यवसायी संतोष जगदाले और कौस्तुभ गणबोटे मंगलवार को पहलगाम में हुए नृशंस आतंकवादी हमले में गोली लगने से घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई।
अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में एक प्रमुख पर्यटक स्थल पर आतंकवादियों ने हमला किया, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर पर्यटक थे, तथा कई अन्य घायल हो गए।
उन्होंने बताया कि मृतकों में दो विदेशी (संयुक्त अरब अमीरात और नेपाल के) और दो स्थानीय नागरिक शामिल हैं।
जगदाले पांच सदस्यीय समूह का हिस्सा थे, जिसमें उनकी पत्नी प्रगति, बेटी असावरी, कौस्तुभ गणबोटे और संगीता गणबोटे भी शामिल थे, जो मंगलवार को पहलगाम गए थे।
पुणे में मानव संसाधन पेशेवर 26 वर्षीय असावरी ने पीटीआई को बताया कि उनके पिता और चाचा को आतंकवादियों ने उस समय गोली मार दी, जब वे बेताब घाटी में 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले एक स्टॉप पर थे।
उन्होंने कहा, "वहां कई पर्यटक मौजूद थे, लेकिन आतंकवादियों ने विशेष रूप से पुरुष पर्यटकों को निशाना बनाया और उनसे पूछा कि वे हिंदू हैं या मुस्लिम।"
यह परिवार उस रमणीय स्थान पर छुट्टियां मना रहा था, जब उन्होंने पास की पहाड़ी से उतरते हुए "स्थानीय पुलिस जैसे कपड़े पहने लोगों" की गोलीबारी की आवाज सुनी।
असावरी ने कहा, "हम तुरंत सुरक्षा के लिए पास के एक तंबू में भाग गए। छह से सात अन्य (पर्यटक) भी वहां भाग गए। हम सभी गोलीबारी से बचने के लिए जमीन पर लेट गए। हमने अनुमान लगाया कि गोलीबारी आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई थी।"
उन्होंने बताया कि आतंकवादियों का समूह पहले पास के एक तंबू में आया और गोलीबारी शुरू कर दी।
उन्होंने कहा, "फिर वे हमारे तंबू में आये और मेरे पिता को बाहर आने को कहा। 'चौधरी तू बाहर आ जा'।
उन्होंने कहा कि इसके बाद आतंकवादियों ने उन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का समर्थन करने का आरोप लगाया, जिसके बाद उन्होंने कुछ बयान जारी कर इस बात से इनकार किया कि कश्मीरी आतंकवादी निर्दोष लोगों, महिलाओं और बच्चों की हत्या करते हैं।
उन्होंने बताया, "इसके बाद उन्होंने मेरे पिता से एक इस्लामी आयत (संभवतः कलमा) सुनाने को कहा। जब वह ऐसा करने में असफल रहे, तो उन्होंने उन्हें तीन गोलियां मार दीं, एक सिर पर, एक कान के पीछे और एक पीठ में।"
उन्होंने कहा, "मेरे चाचा मेरे बगल में थे। आतंकवादियों ने उन्हें चार से पांच गोलियां मारी। उन्होंने मौके पर मौजूद कई अन्य पुरुषों को भी गोली मारी। मदद के लिए कोई नहीं था। कोई पुलिस या सेना नहीं थी, जो 20 मिनट बाद पहुंची। यहां तक कि स्थानीय लोग भी वहां इस्लामी आयत पढ़ रहे थे।"
असावरी, उसकी मां और एक अन्य महिला रिश्तेदार को बचा लिया गया तथा स्थानीय लोगों और सुरक्षा बलों ने उन्हें पहलगाम क्लब पहुंचाया।
उन्होंने कहा, "जो लोग हमें टट्टुओं पर लेकर घटनास्थल पर पहुंचे, उन्होंने हम तीनों महिलाओं, जिनमें मैं और मेरी मां भी शामिल थीं, को वापसी की यात्रा में मदद की। बाद में हमारी चोटों की जांच के लिए मेडिकल जांच की गई और फिर हमें पहलगाम क्लब में स्थानांतरित कर दिया गया।"
उन्होंने कहा, "गोलीबारी शुरू होने के बाद हम अन्य पर्यटकों के साथ भाग गए। बाद में भारतीय सेना मौके पर पहुंची और हमें बचाया।"