बादल ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि पंजाब के लोगों के हित में, सदन एकमत से राज्य सरकार को, कैबिनेट और सभी सरकारी अधिकारियों को निर्देश दे कि वे एसवाईएल नहर बनाने के लिए राज्य की भूमि को नहीं सौंपे और न ही किसी को इस पर काम करने दें और न इस मकसद से किसी का सहयोग करें।
सदन के नेता बादल ने कहा कि सदन ने इस तथ्य पर गंभीरता जताई है कि पंजाब पहले से ही अपनी जरूरत के हिसाब से पानी की कमी से जूभुा रहा है और राज्य के किसान पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं। यह प्रस्ताव विपक्ष की खाली सीटों के बीच पेश किया गया क्योंकि पिछले गुरूवार को आए शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस के सभी 42 विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था।
राज्य विधानसभा का विशेष सत्रा उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के बाद आया है जिसमें उसने 2004 में पंजाब सरकार द्वारा पारित कानून को असंवैधानिक करार दिया था। इस कानून के माध्यम से एसवाईएल नहर के पानी को पड़ोसी राज्यों के साथ बांटने के समझौते को खत्म कर दिया था। सतलुज यमुना संपर्क नहर के निर्माण के खिलाफ कल अपनी मांगों को तेज करते हुए पंजाब की कैबिनेट ने ऐलान किया था कि वह परियोजना के अधिग्रहण की गई भूमि को अधिसूचना से बाहर करेंगे और इसे इसके वास्तविक मालिकों को निशुल्क वापस करेगी।