कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के एक महीने से बाद भी पंजाब में राजनीतिक संकट थमने का नाम नहीं ले रहा है। विधानसभा चुनाव से पहले विवादों में रहे पंजाब के एडवोकेट जनरल एपीएस देओल ने अपने पद से कथित तौर पर इस्तीफा दे दिया है।
रिपोर्टों के अनुसार, पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख सिद्धू देओल की नियुक्ति से खुश नहीं थे और पंजाब सरकार में विभागों के वितरण के संबंध में पंजाब के वर्तमान सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से भी बात की थी। देओल का इस्तीफा सिद्धू की जीत माना जा रहा है, जिन्होंने बार-बार उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू भी एपीएस देओल की नियुक्ति को लेकर नाराज चल रहे थे। इसी मुद्दे पर सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से इस्तीफा दे दिया था।
एपीएस देओल को पंजाब का महाधिवक्ता नियुक्त किए जाने के बाद चन्नी सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई थी। देओल पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी सुमेध सिंह सैनी और निलंबित आईजी परमराज सिंह उमरानंगल के वकील थे। यह दोनों अधिकारी बहबल कलां पुलिस फायरिंग मामले में आरोपी थे। बेअदबी मामले के खिलाफ देओल ने ही कोर्ट में पैरवी की थी।
चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने सितंबर में वरिष्ठ अधिवक्ता अमर प्रीत सिंह देओल को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त किया था। देओल ने अतुल नंदा का स्थान लिया था, जिन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को पंजाब के सीएम के रूप में हटाने के बाद एजी के रूप में इस्तीफा दे दिया था। समझा जाता है कि सरकार ने एजी के रूप में नियुक्ति के लिए दो अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नामों पर विचार किया था, लेकिन कथित तौर पर देओल के नाम को चन्नी ने मंजूरी दे दी थी।
देओल के इस्तीफे की खबर पीपीसीसी प्रमुख सिद्धू द्वारा चन्नी सरकार में महत्वपूर्ण नियुक्तियों पर बार-बार आपत्ति जताने के कुछ दिनों बाद आई है। इससे पहले अक्टूबर में सिद्धू ने पंजाब के पुलिस प्रमुख और महाधिवक्ता को बदलने की अपनी मांग दोहराई थी। इससे पहले सिद्धू ने सीसीएम चन्नी के साथ एक बैठक भी की थी, जिसके बाद राज्य सरकार के सभी बड़े फैसलों पर पूर्व परामर्श के लिए एक समन्वय पैनल गठित करने का निर्णय लिया गया था।
एपीएस देओल पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील हैं, जो आपराधिक और संवैधानिक मामलों के विशेषज्ञ हैं। बठिंडा में एक आपराधिक वकील मल्कियत सिंह देओल के बेटे, एपीएस देओल वर्ष 1990-97, 1997-2002 तक दो बार पंजाब और हरियाणा बार काउंसिल के सदस्य रहे। वह 31 साल की उम्र में बार काउंसिल ऑफ पंजाब एंड हरियाणा के सबसे कम उम्र के चेयरमैन भी रहे हैं।