मध्यप्रदेश्ा की आर्थिक राजधानी इंदौर का नाम बदलने पर जारी सियासी चर्चाओं के बीच मशहूर शायर राहत इंदौरी ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा है कि नाम बदलने से शहर की सेहत और मिजाज पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। लिहाज इंदौर को इंदौर ही रहने दिया जाए।
उन्होंने कहा कि नाम बदलने से शहर की तरक्की नहीं होगी। यह बहस सियासी हल्ला है। शहर का नाम बदलने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, क्या इंदौर को इंदूर किए जाने भर से यह शहर स्मार्ट सिटी बन जाएगा। अगर आप (सरकार) इंदौर को एक आधुनिक शहर बनाना चाहते हैं, तो कुछ और सोचा जाना चाहिए। शहर का नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि देश के कई शहरों से लेकर उनके मोहल्लों, गलियों और चौराहों तक के नाम भी बदल दिए गए हैं, लेकिन मुझे अब तक समझ नहीं आया कि इससे आखिर क्या तब्दीली हुई। मद्रास को चेन्नई या कलकत्ता को कोलकाता करने स भला क्या फर्क पड़ा।
बंबई का नाम बदलकर मुंबई किए जाने के संदर्भ में अपना एक पुराना शेर याद करते हुए इंदौरी ने कहा,‘रोशनी को तीरगी करते रहे, यह सफर पूरी सदी करते रहे। लोग सूरज तोड़ लाए और हम, बंबई को मुंबई करते रहे।’ गौरतलब है कि नाम बदलने को लेकर 14 नवंबर को इंदौर नगर निगम के पार्षदों के सम्मेलन में एक प्रस्ताव पेश किया गया था। भाजपा पार्षद सुधीर देड़गे ने ऐतिहासिक तथ्यों का हवाला देते हुए प्रस्ताव रखा था। इसमें कहा गया था कि पूर्व होलकर शासकों की राजधानी रहे शहर का नाम बदलकर इंदूर किया जाना चाहिए।
देड़गे का दावा है कि प्राचीन इंद्रेश्वर महादेव मंदिर के कारण इस शहर का नाम इंदूर ही था, लेकिन अंग्रेजों के गलत उच्चारण के कारण शहर का नाम इंदोर पड़ गया जो बाद में और बदलकर इंदौर हो गया। नगर निगम के सभापति अजय सिंह नरूका ने देड़गे से कहा था कि वह अपने दावे के समर्थन में ऐतिहासिक दस्तावेज पेश करें। इसके बाद विचार-विमर्श के आधार पर उनके प्रस्ताव पर उचित कदम उठाया जाएगा।