छत्तीसगढ़ की राजधानी के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल डॉ. भीमराव अंबेडकर में महज 12 घंटे के भीतर 4 बच्चों की मौत हो गई। इन मौतों के बाद हॉस्पिटल में परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया। परिजनों का आरोप है कि इन बच्चों की हालत इतनी भी गंभीर नहीं थी कि इनकी मौत हो जाए।
परिजनों का आरोप है कि बच्चों की मौत डॉक्टरों की लापरवाही से हुई है। मरने वाले चार बच्चों में से तीन बच्चों की उम्र महज 14 साल की है। बता दें कि यह सभी बच्चे उल्टी और दस्त के शिकार थे।
अंबेडकर हॉस्पिटल में गुरुवार को सुबह 8:30 बजे जैसे ही डॉक्टर ने राजिम से लाए गए मोहम्मद मोहिसिन की मौत की खबर दी, तो अस्पताल में हंगामा खड़ा हो गया। परिजन बोले कि किशोर को बस उल्टी और दस्त हो रही थी। तब उन्होंने रात में 8 बजे के करीब उसे एडमिट कराया था। परिजनों ने यह आरोप लगाया कि लापरवाही के चलते एक के बाद एक बच्चों की जानें गईं।
परिजनों के मुताबिक आईसीयू में भर्ती सभी बच्चों की देखभाल ठीक से नहीं हो रही थी। डॉक्टर सिर्फ
खानापूर्ति करके चले जाते थे। परिजनों ने यह भी कहा कि यही हाल पैरामेडिकल कर्मियों का भी है। उन्हें मरीजों तक पहुंचाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। परिजनों ने आरोप लगाया कि सरकारी डॉक्टरों में मानवता और सेवा भाव नहीं है, जिसकी वजह से मरीजों की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। अब परिजनों ने इस पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है।
अस्पताल अधीक्षक डॉक्टर विवेक चौधरी ने पीड़ितों के सारे आरोपों को सिरे खारिज कर दिया है। अस्पताल अधीक्षक के मुताबिक, ज्यादातर बच्चे यहां से ठीक होकर ही जाते हैं, लेकिन सीरियस कंडीशन वाले तीन-चार बच्चों की मौत औसतन 24 घंटों में होती ही है। अस्पताल अधीक्षक के मुताबिक, चारों बच्चों की मौत का मामला भी अलग-अलग है।
फिलहाल हंगामे के बाद रायपुर जिला प्रशासन ने एसडीएम को अस्पताल भेजा और मामला शांत कराया। वहीं, प्रशासन ने पीड़ितों को आश्वस्त किया है कि परिजनों के द्वारा लिखित में शिकायत मिलने के बाद मामले की पूरी जांच करवाई जाएगी।
बता दें कि इस मामसे से पहले भी अगस्त 2017 में रायपुर के इसी अस्पताल में ऑक्सीजन न मिलने की वजह से तीन बच्चों की मौत हो गई थी और तब भी प्रदेश के सीएम रमन सिंह ने जांच के आदेश दिए थे।