रांची की एक अदालत ने जेल में बंद झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को कथित तौर पर जमीन हथियाने के मामले से जुड़ी धनशोधन की जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी किए नोटिस की अवज्ञा का दोषी पाए जाने पर उन्हें अगले महीने पेश होने को कहा है।
ईडी ने यह कहते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के वरिष्ठ नेता के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी कि वह उन्हें जारी किए सात समन के बावजूद जांच में शामिल नहीं हुए। उन्हें सबसे पहली बार पिछले साल 14 अगस्त को समन भेजा गया था।
ईडी ने अपनी शिकायत में कहा कि सोरेन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 174 (लोक सेवक के आदेश का पालन न करना) के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
जांच एजेंसी ने सोरेन (48) से रांची में उनके आधिकारिक आवास पर दूसरे चरण की पूछताछ के बाद 31 जनवरी को धनशोधन के आरोपों में गिरफ्तार कर लिया था। सोरेन ने गिरफ्तार होने से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं।
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कृष्ण कांत मिश्रा की अदालत ने सोमवार को दिए आदेश में कहा, ‘‘शिकायतकर्ता (ईडी) के तथ्यों और रिकॉर्ड में रखी सामग्री से प्रथम दृष्टया आरोपी हेमंत सोरेन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 174 के तहत एक अपराध बनता है और दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 204 के तहत मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘कार्यालय को आरोपी व्यक्ति को पेश होने के लिए समन जारी करने का निर्देश दिया जाता है।’’ उसने सोरेन को अदालत में पेश करने के लिए तीन अप्रैल की तारीख तय की।
दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 204 एक आरोपी की पेशी के लिए समन या वारंट जारी करने की किसी मजिस्ट्रेट की शक्तियों से जुड़ी है।
ईडी ने तीन बार एजेंसी के समन की अवहेलना करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल के खिलाफ भी एक अदालत में ऐसी ही शिकायत दर्ज करायी है।
सोरेन के खिलाफ अपनी शिकायत में ईडी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ‘‘जानबूझकर समन का पालन नहीं किया और समन में उल्लेखित स्थान तथा समय पर नहीं पहुंचे’’ जिससे धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की धारा 50(2) के तहत जांच अधिकारी द्वारा जारी समन का अनुपालन नहीं हुआ।
सोरेन के खिलाफ धन शोधन की जांच रांची में उनके द्वारा 8.5 एकड़ जमीन कथित तौर पर धोखाधड़ी से हासिल करने से संबंधित है।