अगर 8 अप्रैल 2018 को उन्नाव रेप मामले की पीड़िता ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर के सामने आत्मदाह की कोशिश न की होती, तो कुलदीप सेंगर उत्तर प्रदेश के 403 विधायकों में से एक विधायक के तौर पर ही जाने जाते। लेकिन, पीड़िता के आत्मदाह की कोशिश की घटना के बाद उन्नाव रेप मामला सुर्खियों में छा गया। विवाद और तब बढ़ गया, जब पीड़िता के पिता की अगले दिन पुलिस कस्टडी में मौत हो गई और सोशल मीडिया पर कुलदीप सेंगर के भाई अतुल सेंगर द्वारा उन्हें बुरी तरह मारने का वीडियो वायरल हो गया। इसके बाद योगी सरकार ने बिना कोई देर किए मामला सीबीआई को सौंप दिया और 13 अप्रैल को कुलदीप सेंगर को गिरफ्तार कर लिया गया।
दल-बदल का पुराना इतिहास
कुलदीप सेंगर ने 90 के आखिरी दशक में अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस के साथ शुरू किया, लेकिन 2002 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का दामन थाम लिया और अपला पहला चुनाव उन्नाव सदर से जीता। यह पहली बार था, जब बसपा ने उन्नाव की इस सीट पर जीत दर्ज की।
बाद में, सेंगर ने समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर लिया और 2007 में बांगरमऊ सीट से चुनाव जीता। सेंगर को 2012 में उन्नाव की भगवंत नगर सीट से चुनाव सड़ने को कहा गया और उसने वहां भी जीत दर्ज की। सेंगर के रसूख का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि उसने लगातार तीन बार चुनावी जीत दर्ज की और वह भी उसी जिले के अलग-अलग क्षेत्र से। समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह का नेतृत्व जाने के बाद सेंगर ने भाजपा का दामन थाम लिया और 2017 में फिर बांगरमऊ सीट से जीत दर्ज की।
सेंगर के खिलाफ रेप के आरोप की घटना से उसके सभी साथी अचंभित रह गए, क्योंकि वे उसे ‘संवेदनशील और नुकसान न पहुंचाने वाला राजनेता मानते थे, जिसकी लोकप्रियता खासतौर पर उसकी लोगों तक उपलब्धता और उदार चरित्र के कारण थी।’
...जब करीबी रिश्तों में आई दरार
सेंगर के आरोपों की पृष्ठभूमि का अभी तक किसी को पता नहीं था। रेप पीड़िता के पिता कुलदीप सेंगर के करीबी थी और उनके परिवारों के बीच भी समान घनिष्ठता थी। दोनों के बीच मतभेद तब खड़े हो गए, जब कुलदीप सेंगर ने अपनी पत्नी संगीता सेंगर को जिला पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए खड़ा कर दिया। रेप पीड़िता का परिवार लड़की की मां को चुनाव लड़ाना चाहता था, लेकिन संगीता बड़ी आसानी से चुनाव जीत गई। इससे दोनों परिवारों के बीच खाई बढ़ती गई, जो सेंगर के 2017 में चौथी बार चुनाव जीतने पर और गहरी हो गई। दोनों के बीच क्षेत्र में कॉन्ट्रैक्ट के बंटवारे को लेकर भी मतभेद थे।
भाजपा के एक विधायक का कहना है, “हम सभी जानते हैं कि रेप पीड़िता के पिता केलदीप सेंगर के सहयोगी थे और पूरा जाल उनकी छवि को बर्बाद करने के लिए बिछाया गया है। मीडिया ने भी मीडिया ट्रायल के जरिए अपनी भूमिका निभाई है। किसी ने भी कभी रेप पीड़िता से नहीं पूछा कि उसने अपने पहले एफआईआर में विधायक का नाम क्यों नहीं लिया? जब विधायक चुनाव जीत गया, तब उसने इस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया? उसने पुलिस की निष्क्रियता का आरोप लगाने के लिए एक साल तक का इंतजार क्यों किया? उन्होंने यह भी कहा कि रेप पीड़िता का चाचा हत्या की कोशिश के आरोप में फिलहाल जेल में है और वह फर्जीवाड़े का दोषी भी है। लेकिन कोई उसके परिवार की विश्वसनीयता पर सवाल नहीं उठा रहा है।
भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने हालिया लोकसभा चुनाव में जीत मुख्य रूप से जेल से सेंगर के सहयोग की वजह से दर्ज की। बाद में साक्षी महाराज सेंगर को व्यक्तिगत रूप से धन्यवाद देने के लिए उससे मिलने सीतापुर जेल भी गए।