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सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आरएसएस का कोलकाता में कार्यक्रम, मोहन भागवत ने किया नेताजी को याद

आज पूरे देश में महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है। आज के इस दिन को...
सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर आरएसएस का कोलकाता में कार्यक्रम, मोहन भागवत ने किया नेताजी को याद

आज पूरे देश में महान स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जा रही है। आज के इस दिन को लोग पराक्रम दिवस के रूप में मना रहे हैं। इस मौके पर पश्चिम बंगाल में बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इसी क्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर से भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में कार्यक्रम को दौरान मोहन भागवत ने कहा कि नेता जी ने अपना सारा जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। नेता जी का जीवन लगभग वनवास में गुजारने जैसा था। उन्होंने अपने जीवन के बहुत से हिस्से वनवास में गुजारे। उन्हें अपना सर्वस्व बलिदान देश के लिए कर दिया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के युद्ध कौशल का जिक्र किया। मोहन भागवत ने कहा, 'उनके(सुभाष चंद्र बोस) युद्ध कौशल का क्या वर्णन करना, वो तो जगत प्रसिद्ध है। जिनके साम्राज्य पर सूर्यास्त नहीं होता, ऐसे लोगों के लिए एक नई सेना बनाकर उन्होंने चुनौती खड़ी की और भारत के दरवाजे पर दस्तक दी।

मोहन भागवत ने कहा कि समय का भाग्य चक्र अगर सीधा चलता तो नेताजी भारत के अंदर प्रवेश करके बहुत आगे आ चुके होते। यहां रहकर यहां के स्वतंत्रता के लिए प्रयास करने वालों से मिलन होता और भारत बहुत पहले स्वतंत्र हो गया होता।

मोहन भागवत ने कहा कि हम सबको मिलकर भारत को दुनिया में एक स्थान दिलाना है। इसके लिए जिन्होंने देश के लिए जीवन दिया है, उनको याद करना होगा। बचपन में ही नेताजी को परिवार के संस्कार और शिक्षकों की जो शिक्षा मिली, उनके चलते उनकी समाज के प्रति संवेदना थी। उसी का उत्तम विकास करते हुए नेताजी ने देश के लिए अपना समर्पण किया।

संघ प्रमुख ने कहा, 'जिस देश के लिए नेताजी काम करते थे, उस समाज में उनका विरोध करने वाले भी थे। कुछ लोगों के बीच विचारिक विरोध होता है, और भी कई बातें होती हैं। इसके बावजूद भी उन्होंने कभी भी आपस में लड़ाई नहीं की। स्वतंत्र भारत में उनका स्मरण बनाए रखने में थोड़ी कम ज्यादा हुआ तो भी, अपने त्याग के कारण पूरे देश के स्मरण में वो खुद रहे।'

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