झारखंड की राजधानी रांची के चान्हो में आदिवासी परिवार की 12 साल की मासूम सरिता सात वर्षों से पांव में रस्सी से बांधकर रखा गया है। बंधे-बंधे ही खाना, पीना और दैनिक कर्म। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने तत्काल रांची के डीसी को संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया। सरिता मानसिक रूप से बीमार है इसलिए उसके परिवार के लोगों ने ही उसे एहतियातन रस्सी से बांध रखा है। सरिता के पिता रंथू उरांव गरीबी के कारण उसका इलाज नहीं करा पा रहे नतीजा है कि सरिता को रस्सी से बंधकर ही जीवन गुजारना पड़ रहा है।
एक स्थानीय हिंदी दैनिक में खबर छपने के बाद मुख्यमंत्री को सरिता के बारे में जानकारी मिली थी। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद रांची डीसी ने सीडीपीओ को सरिता के परिवार के पास भेजा। वहां पता चला कि सरिता मानसिक रोक से ग्रस्त है। उसके मता पिता ने बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भरती करने पर अपनी सहमति दे दी है। शनिवार को उसे रांची के रिनपास ( मेंटल हॉस्पिटल) में भर्ती कराया जायेगा।
मुख्यमंत्री को बताया गया कि सरिता दो साल की उम्र में बीमार पड़ गई थी। नौ दिनों तक उसे होश नहीं आया। जब होश आया तो वह सबकुछ भूल चुकी थी। कुछ अनहोनी न हो इसलिए उसके माता-पिता उसे सात साल से पैरों में रस्सी बांधकर घर में ही रखते हैं। आर्थिक तंगी के कारण परिजन बेहतर इलाज कराने में असमर्थ हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री ने उसके बेहतर इलाका का प्रबंध करने का निर्देश दिया।
सिने अभिनेता सोनू सूद भी उसकी मदद को आगे आये हैं। इलाज और दवा का खर्च वहन करने का भरोसा दिया है। सूद ने सरिता का मेडिकल हिस्ट्री तलब किया है। कहा है कि रांची में जो सबसे बेहतर अस्पताल होगा उनकी टीम वहां संपर्क कर सरिता का बेहतर इलाज करायेगी। सोनू ने सरिता के पिता रंथू से भी वीडियो कॉल कर बात की और वस्तुस्थिति के बारे में जानकारी ली।