गौरतलब है कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों को लेकर जारी विवाद के बाद यह फैसला आया है। मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने केन्द्र द्वारा 21 मई 2015 को जारी अधिसूचना को चुनौती देने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार की याचिका को खारिज कर दिया। केन्द्र ने अधिसूचना में राष्ट्रीय राजधानी में उप राज्यपाल को नौकरशाहों की नियुक्ति की पूर्ण शक्तियां प्रदान की थी। अदालत ने पिछले साल सत्ता में आने के बाद केजरीवाल द्वारा जारी कई अधिसूचनाओं को भी खारिज करते हुये कहा कि यह अवैध हैं क्योंकि इन्हें उप राज्यपाल की सहमति के बिना जारी किया गया है।
194 पेज के अपने निर्णय में खंडपीठ ने कहा कि आप सरकार की यह दलील कि उप राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सलाह और सहायता पर काम करने के लिए बाध्य हैं आधारहीन है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। फैसला सुनाये जाने के बाद दिल्ली सरकार के वरिष्ठ स्थायी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि वे इस फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में तत्काल एक विशेष अनुमति याचिका दायर करेंगे।