पटेल ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक विशेष सरकारी वकील नियुक्त किए जाने का भी आदेश दिया, जिन्हें 60 दिनों के अंदर आरोपपत्र दाखिल करना होगा। पटेल ने घोषणा की कि राज्य सरकार इस घटना में घायल दलित युवकों का सारा चिकित्सा खर्च उठाएगी। इन लोगों का उना, जूनागढ़ और राजकोट के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार ने पीड़ितों को मुआवजे के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने की भी घोषणा की है।
पिटाई के विरोध में राजकोट जिले के गोंडल में पांच दलित युवक-राजेश परमार, रमेश परधी, जगदीश राठौर, भरत सोलंगी और अनिल मघड़ ने नगर के बाजार इलाके में डा. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के पास जहर पी कर आत्महत्या करने की कोशिश की। उधर, जिले के जमकानडोरना में किशोर सोलंकी (30) और अमृत परमार (25) ने खुदकुशी करने की कोशिश की। इन सभी सात दलित युवकों का इलाज गोंडल के एक अस्पताल में किया जा रहा है।
पुलिस निरीक्षक विजय चौधरी ने बताया कि गोंडल में खुदकुशी की कोशिश करने वाले पांचों दलित युवकों ने पहले ही आगाह कर दिया था कि वे ऐसा कदम उठा सकते हैं। उन्हें इससे रोकने के लिए पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे, लेकिन वे कोई जहरीला पदार्थ लेने में कामयाब रहे। इस बीच, गिर-सोमनाथ के पुलिस उपाधीक्षक केएम जोशी ने बताया कि उना में दलित युवकों पर बर्बर हमले के सिलसिले में नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जोशी ने बताया कि इस मामले में पुलिस निरीक्षक एनयू जाला और तीन कांस्टेबलों को निलंबित कर दिया गया है।
उना में कथित रूप से गाय की हत्या करने का आरोप लगा कर दलित युवकों को सड़कों पर घुमाया गया था और उन पर कोड़े बरसाए गए। इस घटना के वीडियो के वायरल होने के बाद इस घटना की राष्ट्रव्यापी निंदा की गई। उत्पीड़न का शिकार हुए दलितों का कहना था कि वे एक मरी हुई गाय का चमड़ा निकाल रहे थे और उन्होंने गाय नहीं मारी थी। एजेंसी